શુક્રવાર, 10 જૂન, 2011

अस्त्र अनशनका


बाबाने उठाया अस्त्र अनशनका,
पर सरकारने बनाया बचपनका,

साम को हुआ ऐलान मान गये,
कुछ देरमे शीशा तुटा दरपनका,

वादा फरोस्तिके युं लगे इल्जाम,
चीठ्ठीको बनाया गया कंचनका,

जो थे आसार तुटनेके बदल गये,
फिरसे चल पडा अस्त्र अनशनका,

कयामत ढायी पुलीसके नुमाइन्दोने,
सोये लोगोका दौर चला उलजनका,

नीर्दोष अंजानो पे चला लाठीका जोर,
अत्याचार हुआ सरेआम जबरनका,

बाबाको पहोचा दिया उनके आशियाने,
रोस बरकरार रहा लोगोमे अलगनका,

क्या होगा नतीजा नही जानता कोइ,
पर नया बनेगा फिरसे अस्त्र अनशनका ।

नीशीत जोशी 05.06.11

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