શનિવાર, 15 સપ્ટેમ્બર, 2012
हम उन में से नहीं जो छोड़ देते है मजधार
हमें इस कदर आजमाओगे तो डर जायेंगे,
मंजिल पाके रूठ जाओगे तो बिखर जायेंगे,
चाँदनी खिली है, चाँद बेताब है मिलने को,
हमें इस मौसममें न मिले तो किधर जायेंगे,
जीने की आरजू भी ना रहेगी तेरे बगैर हमें,
यूँ ठुकराके गर चले जाओगे तो मर जायेंगे,
गुजारिश कुबूल कर लेना मुहोब्बत करनेकी,
तुम्हारा प्यार मिल जाए तो निखर जायेंगे,
हम उन में से नहीं जो छोड़ देते है मजधार,
थाम लिया जो हाथ, कभी न मुकर जायेंगे |
नीशीत जोशी 09.09.12
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