મંગળવાર, 25 સપ્ટેમ્બર, 2012
***शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ...."पवित्र /पावन" पर मेरी कोशिश***
ना कोई भी संग और न कुछ भी जायेगा साथ,
खाली हाथ आये थे और खाली ही रहेगा साथ,
जिस पिंजरेका रखके मोह बिगाड़ा जीवन सारा ,
बसा परिंदा उसमे,बिन कहे,समय पे,उड़ेगा साथ,
मेरा-तेरा के बना लिए खुद ही ने नियम-क़ानून,
जाने बाद तुम्हारे, हर कायदा भी भटकेगा साथ,
न बैठते थे पलभर भी,वोह भी बैठेगे आज पास,
देख खाली पिंजरा, आँखों को भी नम करेंगे साथ,
पवित्र पावन बन जाओ, न बांधो कोई खोटे करम,
इस जन्म के कर्मो का बोज उठाना पड़ेगा साथ !
नीशीत जोशी 18.09.12
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