રવિવાર, 9 સપ્ટેમ્બર, 2012
आदत बन गयी है
उदास रहने की अब आदत बन गयी है,
तेरी याद अब मेरी इबादत बन गयी है,
जी भर के देख लेता तो कुछ ना होता,
यूँ अब तुजे देखना क़यामत बन गयी है,
महेफिल से उठ के चले जाने का फितूर,
तेरी फितरत अब इजाजत बन गयी है,
एक खता हमने की मुहोब्बत करने की,
अब विरह की राते लताफत बन गयी है,
ये जिन्दगी बगैर तेरे हो गयी है दुस्वार,
अब कब्र में लेटना ख़जालत बन गयी है |
नीशीत जोशी
लताफत =pleasantness, ख़जालत=auspicious, happy 07.09.12
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behtreen rachna
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