મંગળવાર, 25 સપ્ટેમ્બર, 2012
कोई फर्क नहीं अश्क और पानी में
कोई फर्क नहीं अश्क और पानी में,
आँखे बहती रही तेरी महेरबानी में,
गुमसुदा हो गए तुजे पाने के वास्ते,
मंजिल पा के भी खो गये जवानी में,
हालत पर मेरी गौर ना करना अब,
ये जिंदगानी बीतेगी तेरी दीवानी में,
टुटा आयना जोड़ने का फन सिखा है,
पर तुजे किस हक से डाले परेशानी में,
समंदर डूबा न सका साहिल के डर से,
मुझे अब डूबने देना आँखे के पानी में !
नीशीत जोशी 17.09.12
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