શનિવાર, 15 સપ્ટેમ્બર, 2012
तुम व्यस्त हो
दिया था क्या सुदामा को तुने उसे उठाने में,
दिया वही जो पाया भोले भक्तो के नजराने में,
रखे थे गोपीओ के जो चिर चोर चोरके तुमने,
दिए थे द्रोपदी को वही सब वस्त्र, बढाने में,
गांठ से न कपिश को दिया ना विभीषण को,
नाम के बादशाह तुम बन बैठे हो जमाने में,
काम है तेरा उलट फेर करने का, मेरे प्रिये,
फिर काहे को देर लगाते हो बिगड़ी बनाने में,
राधा बैठी है पनधट पे आने के इन्तजार में,
और तुम व्यस्त हो राजशाही बंसी बजाने में !!!!
नीशीत जोशी 13.09.12
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