શનિવાર, 1 સપ્ટેમ્બર, 2012

आखरी बार

आखरी बार मुझे उनसे मिलने जाने दो, नजरोसे सही आखरी बार प्यार पाने दो, सुर्ख आँखों ने दीदार की तम्मना की थी, आखरी बार आँखोंसे जाम पी के आने दो, जख्म खुरच के जख्म को रखे है जिन्दा, आखरी नींदसे पहले और जख्म खाने दो, सांस टूटने को है मुझे थोड़ीसी मोहलत दे, आखरी बार ही एक धड़कन उधार लाने दो, हाथकी लकीरोंमें शायद नाम न हो उनका, आखरी बार खुद की तकदीर आजमाने दो, हर मर्तबा हमने की उनकी महेफिल रोनक आखरी बार उनके नाम की ग़ज़ल गाने दो | नीशीत जोशी 30.08.12

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