
यहाँ न करेगा कोई तुज पे रहम,
पाल रखा है मन में यही भरम,
सच्चाई की राह पे निकल पड़ो,
न करना जमाने की कोई शरम,
मिलेंगे हर रास्ते पर बड़े पत्थर.
पर न कभी छोड़ना अपने करम,
साथ आ जायेंगे तेरे वो रकीब भी,
मुहोब्बत जता के रहोगे जो नरम,
आग पे चलने की जो आदत होगी,
सूरज की कड़ी धुप न लगेगी गरम |
नीशीत जोशी 22.09.12
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