રવિવાર, 10 મે, 2009

अब कुछ दिन और,अब परिणाम का ईन्तजार है

किया जो जुठा वादा, रखना अधुरा सब वादा है,
मीलेंगे पांच साल बाद,करना फिरसे कोइ वादा है,
कि हे जो वाहवाही फिर से बढाचडा कर दोहराने आना है,
आप बुलाये न बुलाये हमे तो आपके पास आना है,
यह पाच साल नही सुनेंगे आपकी बात जीताया जो हमको है,
नही करेंगे आपका काम,कीमत देकर भी भुगतना आपको है,
खर्च किया है बहोत अब वापस रकम कमानी है,
दोस्तो यह स्वयंसेवा ही हमारी जनसेवा कहेलवानी है,
जनसेवा के नाम पर खुर्शी हमे हथीयानी है,
राजनीती के नाम पर दुकानदारी हमारी चलानी है ।
'नीशीत जोशी'

1 ટિપ્પણી:

  1. અજ્ઞાત11 મે, 2009 06:41 AM

    दोस्तो यह स्वयंसेवा ही हमारी जनसेवा कहेलवानी है,
    जनसेवा के नाम पर खुर्शी हमे हथीयानी है,
    good one...

    re pan kaya parinam ni rah juvo cho?

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