શનિવાર, 3 સપ્ટેમ્બર, 2011

कहा था तुम्हे


न देना दस्तक दिल पे कहा था तुम्हे,
न आना मस्तक पे फरमाया था तुम्हे,

जज्बात रखते नही काबु में कभी भी,
न खोना कबतक ये जताया था तुम्हे,

दरिया दिली दिखाते हो हस हस कर,
न हसना जबतब ये बताया था तुम्हे,

नाव ले मजधार फिर लाते हो किनारे,
यु डुबना अबतब ये सीखाया था तुम्हे,

चलो अब भी देर नही, हमसफर बनो,
राह चलना कबतक दिखाया था तुम्हे,

गुरुर करना अच्छा नही, नरम बनो,
गुस्सा करना अबतक भुलाया था तुम्हे,

दिल दिया और कह दिया की अपने हो,
दर्दका सहना अबतक सुनाया था तुम्हे ।

नीशीत जोशी 24.08.11

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