શનિવાર, 7 જુલાઈ, 2012

सोच के कदम रखना

ये दिवानो की महेफिल है, सोच के कदम रखना, कहीं फिसले ना,ये दिल है, सोच के कदम रखना, गहरा समुन्दर तो शायद तैरना मुमकीन हो मगर, ये फिसलती बर्फिली झील है,सोच के कदम रखना, फूल तो है मगर संग कांटो की भी है भरमार यहां, यह ऐसी ही अजीब मंजील है,सोच के कदम रखना, बचा न पायेगा कोइ ऐक बार डुब जाने के बाद यहां, दुनिया के लोग सब संगदिल है,सोच के कदम रखना, प्यार के नाम से आज भी इतराते है लोग इस जहां के, संभल जाना,राह बडी मुश्किल है, सोच के कदम रखना । नीशीत जोशी 03.07.12

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