શનિવાર, 28 જુલાઈ, 2012

चाहत ना आजमाई होती

तुने मेरी चाहत ना आजमाई होती, दिल पे यह खामोशी न छायी होती, दो चार कदम अगर साथ चल लेते, आज तेरे ही पीछे मेरी परछाई होती, रुसवा कर के न तोड़ते दिल हमारा, तेरी ही यादो में ना रात बिताई होती, गर समज लेते आँखों की बात सब, आँखोंने कभी ना बारिश बहाई होती, इल्तजा थी प्यार की, सबुरी न थी, मान लेते तो आज ना रुसवाई होती ! नीशीत जोशी 27.07.12

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો