શનિવાર, 28 જુલાઈ, 2012
देख के तुजे
देख के तुजे आयना मगरूर क्यों हुआ,
ये चाँद भी छुपने पे मजबूर क्यों हुआ,
काशीद बन के आये थे ख्वाब रात को,
फिर ये चहेरा इतना मशहूर क्यों हुआ,
चला तजकिरा तेरी मूहोब्बत का यहाँ,
वो दास्ताँ खुदबखुद मज़कूर क्यों हुआ,
तुम प्यार से बना लेते हो सबको अपना,
कमाल है, रकीब भी मखमूर क्यों हुआ,
बनाये है हर चहेरे उसी आका ने जहाँ में,
खुदा को भूल के खुद मशकूर क्यों हुआ .
नीशीत जोशी 26.07.12
काशीद = खबर पहोचानेवाला , तजकिरा = जिक्र , मज़कूर = विवरण,मखमूर =नशे में चूर , मशकूर= आभारी
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