રવિવાર, 15 જુલાઈ, 2012
शीर्षक अभिव्यक्ति" में उनवान ***सुमन/कुसुम/पुष्प/गुल/फूल*** पर रचना.
फूलो के ख़ुश्बू की महक तुम हो,
फरिस्तोने न देखी ज़लक तुम हो,
ये ह्रदय के जज्बात तुमसे है मेरे,
मेरी इस आँखों की पलक तुम हो,
सब की निगाहें तुज पर लगी रहे,
जहाँ की चमकदार चमक तुम हो,
वो पायल छनक उठे चलने पे तेरे ,
दिल के धड़कन की धड़क तुम हो,
पुष्प के गुलदस्ते भी बेजान लगे,
कुसुमके श्रृंगारकी कसक तुम हो,
तुम मेरे हमदम,मेरे हमसफ़र हो,
ऐ इश्वर!
हर दुसरे सांस की जबक तुम हो |
नीशीत जोशी 11.07.12
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