तुजे ही तो जहाँ में अपना देखा,
अपनो ने सिर्फ तेरा सपना देखा,
तेरे वो करिश्मे अभी बरकरार है,
दरिया में पत्थर का बहना देखा,
जन्म से कई हो जाते है अनाथ,
बिन माँ के बच्चे का पलना देखा,
तूफां आये चाहे आ जाए बरसात,
ऐसे में भी चराग का जलना देखा,
वो सुनहरी चाँदनी रात की खातिर,
हर शाम को सूरज का ढलना देखा |
नीशीत जोशी 05.07.12
શનિવાર, 7 જુલાઈ, 2012
तुजे ही तो जहाँ में अपना देखा
तुजे ही तो जहाँ में अपना देखा,
अपनो ने सिर्फ तेरा सपना देखा,
तेरे वो करिश्मे अभी बरकरार है,
दरिया में पत्थर का बहना देखा,
जन्म से कई हो जाते है अनाथ,
बिन माँ के बच्चे का पलना देखा,
तूफां आये चाहे आ जाए बरसात,
ऐसे में भी चराग का जलना देखा,
वो सुनहरी चाँदनी रात की खातिर,
हर शाम को सूरज का ढलना देखा |
नीशीत जोशी 05.07.12
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