રવિવાર, 15 જુલાઈ, 2012

अनजान राह के मुसाफिर

पाबंधियो में इश्क करना मुझे तकलीफ देता है, आँखों से अश्क का बहना मुझे तकलीफ देता है, कैसे बसर कर पायेंगे अपनी ये लाचार जिंदगानी, तेरे बगैर का सुनहरा सपना मुझे तकलीफ देता है, सारी दुनिया के रूठने से मुझे कोई तकलीफ नहीं, बस एक तेरा खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है, जानता हू मेरी तक़दीर के पन्ने अब लगे है उड़ने, उन अंधे ख्वाबो का पलाना मुझे तकलीफ देता है, अनजान राह के मुसाफिर बन गए है अब तो यहाँ, हालात ये है फूलो पे चलाना मुझे तकलीफ देता है | नीशीत जोशी 10.07.12

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