રવિવાર, 1 જુલાઈ, 2012

नही मीलता

इस जहाँ में किसीको अपना नही मीलता, सबको सजाने वास्ते सपना नही मीलता, उब भी गर जाओ बोझील जीन्दगानी से, जब चाहे,जैसा चाहे, मरना नही मीलता, किनारे पर बैठ के तांकते रहे जो संगम, समंन्दर के नसीब, झरना नही मीलता, परिन्दो को नाज है अपनी परवाझ पर, फलक पे आशीयाना करना नही मीलता जिगर को निकाल हथेली पे दिया उन्हे, ऐसा बेपन्हा वो प्यार वरना नही मीलता । नीशीत जोशी 29.06.12

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