રવિવાર, 1 જુલાઈ, 2012
ना करो
वादियो में बनठन के यूं लहराया ना करो,
बीन मौसम में आसमान बरसाया न करो,
राही है पहोच जायेंगे तेरे बुतखाने तक तो,
सच्चे राहगीर को रास्ता समजाया न करो,
रकीब भी गर आये भटका मुसाफिर बनके,
चहेरा बीगाड कर नफरत फरमाया न करो,
बेहोशी बाद जब होश में आने की बात कहे,
एक और प्याला पीला के बहकाया न करो,
यह जीन्दगी जीने का तरिका सीख लिया,
आपसी रंजीस से अक्सर टकराया न करो ।
नीशीत जोशी 27.06.12
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