બુધવાર, 19 ઑક્ટોબર, 2011
आंखोसे हर खयाल का ईजहार हो गया
उनके आने से मौसम बसंत बहार हो गया,
दिलकी धडकन बनके राग मल्हार हो गया,
बैठ गुनगुनता रहे गझल उनके ही नाम की,
गझल खत्म होने तक जाहीर प्यार हो गया,
महोब्बत के आसार भी नजर आने लगे अब,
और आंखोसे हर खयाल का ईजहार हो गया,
अपने दोस्तो से कोने में करने लगे बाते लोग,
सुनके वो बाते चहेरा उनका शर्मोसार हो गया,
नदी-सागरके मीलन को देख मचल उठा दिल,
दिलकी लहेरो मे डुबते ही दरिया पार हो गया,
कयामत छा जाती है कुछ अफवाहो से अब तो,
जब कानाफुसी सुनते है 'नीशीत' ईन्कार हो गया ।
नीशीत जोशी 17.10.11
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો