ગુરુવાર, 6 ઑક્ટોબર, 2011

मुद्दतों बाद तेरी याद चली आई है’


कहने को तो यादे बडी हरजाई है,
यही बात बुजुर्गोने भी समजाई है,

बीस्तरभी जागते रहेगे साथ हमारे,
सजा हमारे साथ उसने भी पाई है,

सपनेभी साथ छोड चुके आंखो का,
गहरायी तक चोट उसनेभी खाई है,

आनेकी खुश्बु महके हवाके झोकोमें,
हवा थमके लहेराना अभी पुरवाई है,

कसम दे चले गये थे न याद करनेकी,
जरुर कोइ तो बात जहनने सुनाई है,

भुल गये थे झलझलाके खौफसे पर,
मुद्दतो बाद तेरी याद चली आई है ।

नीशीत जोशी 26.09.11

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