जो कर रहे हो,वो सही है,
अल्लाह के पासभी बही है,
चीर कर उतरे दिले पाकमें,
ये आयनाभी तुटता नही है,
रहमतकी भीख मांगते हो,
तुम कहां,दिल ओर कही है,
खुदके वजुदको भुल जाओ,
दुधभी देखो बनता दहीं है,
सजा मीले या मीले तौफा,
मीलता फल यहांका यहीं है ।
नीशीत जोशी 29.10.11
સોમવાર, 31 ઑક્ટોબર, 2011
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