याद मुजे है वो दीवाली की रात सुहानी,
थी वो मदमस्त आपस की बात सुहानी,
आसमानसे जो तारा तुटता नजर आया,
होगी उस टपकते सीतारेकी जात सुहानी,
तारे तो दिखते नही अमावस्याकी रातको,
अनायास हुआ और बनी मुलाकात सुहानी,
फुलजरीया जलने लगी दोनो तरफ ऐसीकी,
रात रोशन कर गयी दिलकी हालात सुहानी,
जहनमें उतर गयी तस्वीर खुशनुमा रातकी,
दीवालीकी रात बरसी तारोकी बरसात सुहानी ।
नीशीत जोशी 27.10.11
સોમવાર, 31 ઑક્ટોબર, 2011
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