मौजो को उछलने कुदने दो,
मगर हमे जरा संभलने दो,
दरिया मौजोको भेजे किनारे,
अश्क मेरा है, उसे बहने दो,
लपट आग की किससे कहे,
दिल तुटा अब उसे जलने दो,
कयामत की बात नीकाली है,
कायनात को जरा कहने दो,
मुश्किलात कुछ नही दिलकी,
खुशी है उसे अब तो बटने दो ॥॥
नीशीत जोशी 16.10.11
બુધવાર, 19 ઑક્ટોબર, 2011
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