બુધવાર, 19 ઑક્ટોબર, 2011

याद करते है


महोब्बतकी दास्तां सुनाने याद करते है,
तुजे किसीना किसी बहाने याद करते है,

मनकी चंचलता बाज नही आती छेडनेसे,
रात सपनेभी नींदमे सताने याद करते है,

मुश्कराहटोका जनुनभी गजबका छा जाता,
हसीके फव्वारे तुफान मचाने याद करते है,

पथ्थरभी अब तो तुटकर बीखर गये राहमें,
बीछाये राहमें जो फुल सुहाने याद करते है,

समंदरकी वो लहरे सुखकर किनारे सो गयी,
किनारे हुए मिलनके वो जमाने याद करते है ।

नीशीत जोशी 12.10.11

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