રવિવાર, 9 ઑક્ટોબર, 2011
बीन पीये अब
यह एक गुनाह खुदाको मानना होगा,
जान लेने वास्ते मुजको मारना होगा,
मिलनकी घडी फिरसे खडी है सामने,
महोब्बतका अंत फिरसे भापना होगा,
शुक्रिया,आये,पर सफर है यह मौतकी,
छोडके साथ मुजे तो अब जागना होगा,
दिदार कैसे हो?डाल दिया परदा सामने,
अब तुजे भुलजानेका नाटक करना होगा,
सितमगर मुंह खोलने नही देते जहां मे,
ऐ खुदा, अब तुम्हे दिलसे पुकारना होगा,
जानता गर समंदर फसाता नही वो ऐसे,
डुबा देनेके बाद उसे मेरे संग तैरना होगा,
बीन पीये अब रहना है मदहोश मुजे तो,
होंशको सुराहीमें अब मुजे उतारना होगा ।
नीशीत जोशी 08.10.11
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