શુક્રવાર, 20 ફેબ્રુઆરી, 2009

26/11 का आक्रोश

जुलस रहा है देश अपना विस्फोटो से,
अहमदाबाद,जयपुर और फिरसे नंम्बर मायानगरी का,
कोने कोने जल उठेंगे जब, तब,
आत्मा जागेगा आजके सोये हुए देशस्वामीओ का,
क्या करता है आजका ये तंत्र अपना,
नही देखते तबाहीका आक्रोश आम जनता का,
अब हद हो गयी, नही जरुरत है गांधीवाद की,
जरुरत है वही नारा आज फिर सुभाष बोस का,
नही चलेगी अब मैत्री की रणनीती,
अपनाना पडेगा रास्ता वही लोह पुरुष का,
सिर्फ कहने से नही बनेगा 'मेरा देश महान',
समय आया देशद्रोहीओ को नस्तेनाबुद करने का,
बहोत हुइ वोटो की राजनीती,
कुछ ध्यान दे अपने देश की परीस्थितीओ का,
गर अभी नही जागे सत्ताधारीयो ,
वक्त दुर नही देश होगा इन्ही आंतकवादीयो का........
' नीशीत जोशी '

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