या तो इस पापी के पाप मीटा दीजेये,
या तो मन को मोह लीजेये,
या तो दुर से ही हाथ जोड दीजे,
या तो पापीओ की पंक्तीमें ही जोड दीजये,
या तो भंडा फोड दीजये दयालताका,
या तो मेरा अंतकरण शुध्ध कर दीजये,
या तो तोड दीजये अधीन जगबंन्धन का,
या तो फिर नाम दीनबंधु छोड दीजये.......
રવિવાર, 22 ફેબ્રુઆરી, 2009
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