શુક્રવાર, 20 ફેબ્રુઆરી, 2009

राधे ओ राधे

नथनी बनु तेरे नाक कि और तेरे अधरो पे रम जाउ,
पायलीया बनु तेरे पाव कि और तेरे चरनो मै रम जाउ,
बनु टिक्का तेरे माथे का, मोती बनु तेरे झुमखे का,
बन के हार तेरे गले का तेरे को आलिंगन कर जाउ,
बनु कमरबंन्ध तेरे कमरमे, बाजुबन्ध बनु तेरे बाहु का,
बन के चुडला हाथो का तेरे ही हाथो मै रह जाउ.......
' नीशीत जोशी '

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