શુક્રવાર, 20 ફેબ્રુઆરી, 2009

गोकुल गांव के पथ पे खो गये अब और पथ नही सुजा,
ओ बनवारी, हाथ धरो फिर ,प्यारे ये पथ तुम्हारा बुजा.........
' नीशीत जोशी '

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