उन अधरन से इन अधरन मै,
फिर बहे मुश्कान की धारा,
वोह कंठभाव से तराबोर,
फिर गा उठे मधुगान तुम्हारा,
मनमे प्यार का घाव लगा,
तेरे नैनो का जो एक बाण चला,
मै तेरा तुम मेरे हो ,
यह गर बन जाये अभिमान हम्हारा........
' नीशीत जोशी '
ગુરુવાર, 19 ફેબ્રુઆરી, 2009
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