सफरे राहे महोबत्तमे, तुने दिल को मेरे समजा नही,
समजा एक जमाने को, मगर मुजको कभी समजा नही,
जुबा कहती रही , दिलबर जान तुम मेरे हो,
पर मेरे अश्को की जुबा को, तुमने कभी समजा नही,
झर झर आंखो से ये आंशु, रातदिन बहते रहे,
तुमने समजा सिर्फ पानी, दर्द कभी समजा नही........
શુક્રવાર, 20 ફેબ્રુઆરી, 2009
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