
રવિવાર, 23 ડિસેમ્બર, 2012
वक़्त वही है, हालात बदल गये लगते है

प्यार के वास्ते

મધુર સબંધો એમ કંઈ બંધાતા નથી

मेरी फुरकत में

રવિવાર, 16 ડિસેમ્બર, 2012
આ શરાબ પણ કંઈક આજ જૂની લાગે છે

वोह एक चिड़िया है

नहीं करते तबीब, नाईलाज दर्द की दवा

साकी तेरी आँखों में डूबना चाहता हूँ

उतर आये है बादल

हो गयी

बताओ जरा

ગુરુવાર, 6 ડિસેમ્બર, 2012
तेरी शादी पे निकला जनाज़ा देख ले

કેવા તે પ્રશ્નો

शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ?

ख्वाब को आंसू

मेरी जब रुखसत होगी

નથી ફેક્યા

तस्सवूर में भी गर आ जाओ

શનિવાર, 24 નવેમ્બર, 2012
हमें आता नहीं

तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ?

नफ़रत की हम हिफाजत नहीं करते

આ જગ માં જુઓ બધા બેહાલ છે

कोई कुछ भी कहे औरत के बारे में यहां

सुलग उठता है जिगर

ગુરુવાર, 15 નવેમ્બર, 2012
फरिस्तो ने

चाँद भी कभी चाँदनी के लिए छूपा होगा
![IMG_0274[1]](http://nishitjoshi.files.wordpress.com/2012/11/img_02741.jpg)
ખરવા નથી જવું

દરવાજા બંધ થઇ ગયા

हमसे ठुकारेये हुए लोग देखे नहीं जाते

मैं नशे में हूँ

महबूब

दिल की बात सुन ही लेंगे

તુજ વગર

શનિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2012
कलम

देख लेंगे

यह जनम भी अब लगता है गुजर जाएगा

हम उनकी जुबाँ पे अपना नाम तक ला न सके

चले आना

કેમ ફરીને લાવું

हो जाती है

असर तो हुआ

શનિવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2012
पीने ना दिया

હવે નજીક ઇશ્વરના ઘરની ડેલી છે

अश्क आज आँखों से बहने लगे है

क्या तरकीब आजमाई थी

वोह लड़की

પિતૃઓને

बदल गये है वो

आजमाया

હવે દરેક પથ અટકાવે છે મુજને

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