રવિવાર, 23 ડિસેમ્બર, 2012

वक़्त वही है, हालात बदल गये लगते है

alone-time-ira-mitchell-kirk वक़्त वही है, हालात बदल गये लगते है, दस्तूर-ए-मुलाक़ात, बदल गये लगते है, रंज न कर, अपनी तन्हाई से, ए दोस्त, जवाब वही, सवालात बदल गये लगते है, मुहोब्बत आज भी बरकरार है जैसी थी, दिल है वही, जज्बात बदल गये लगते है, मयकदे जाते जरूर है पर पिते नहीं शराब, पाँव वही है पर,सबात बदल गये लगते है, हैरत से आना छोड़ रखा है,सपनों ने यहाँ, वो रात है वही,जज्बात बदल गए लगते है !!!! नीशीत जोशी (सबात = stability) 21.12.12

प्यार के वास्ते

nazaakat प्यार के वास्ते, उनके करीब आते रहे है, गम-ए-जिन्दगी का असर, बताते रहे है, ना कर बद-गुमानी, अपनी नजाकत की, हम तो उन फूलो से भी, चोट खाते रहे है, फरिस्ते भी माँगते है, दुआ उनके नबी से, जमीं पर उतारने, चाँद को मनाते रहे है, फितरत को बदल लो अपनी, सितमगर, सितम भी, अब दर्द की ग़ज़ल गाते रहे है, नहीं रखी है, कोई हसरत अब जिन्दगी में, उनकी ख्वाइश को, अपनी बनाते रहे है !!!! नीशीत जोशी 20.12.12

મધુર સબંધો એમ કંઈ બંધાતા નથી

9278-love-relation મધુર સબંધો એમ કંઈ બંધાતા નથી, લાગણીઓના સુર કંઈ ગવાતા નથી, લઇ ને ભલે દોડે બોજો એ હૃદય નો, મળેલા ઝખમ કોઈને અપાતા નથી, સહન કરવું પડે છે હસતા મોઢે બધું, નફરતે સબંધોને કંઈ નખાતા નથી, પારકાને પોતાના કરવા નથી સરળ, કાળજે એમજ પથ્થર પથરાતા નથી, નમતા રહેવું પડે છે સૌ પાસે પ્રેમ થી, પ્રેમે બાંધેલા સબંધ એમ હણાતા નથી. નીશીત જોશી 18.12.12

मेरी फुरकत में

577925_268115359978046_1424363145_n मेरी फुरकत में, जब तड़पा करोगे, अकले बैठकर, तब रोया करोगे । आह निकलेगी, मेरी याद आने पे, नामावर के आने से तौबा करोगे । ख़ुशनुमा रात लौट के ना आयेगी, इन्तेज़ार में रात, बिताया करोगे । राह चलते भी, पिंदार मेरे ही होंगे, दीदार को मेरे, बेहद तरसा करोगे । बे- ख़ुदी में ख़ुद, गुनाहग़ार समझोगे , मेरे जनाजे का, ख्व़ाब देखा करोगे । नीशीत जोशी (फुरकत = separation, नामावर = postman, पिंदार = thought ) 17.12.12

રવિવાર, 16 ડિસેમ્બર, 2012

આ શરાબ પણ કંઈક આજ જૂની લાગે છે

72114321 આ હવા માં આજે કોઈ તાજગી લાગે છે, આ શરાબ પણ કંઈક આજ જૂની લાગે છે, સુરાલય માં જવાવાળા ખબરદાર રહેજો, પ્રિયેના હાથમાંનો પ્યાલો પાણી લાગે છે, હોશમાં રે'વાની કોશિશ આજ થશે નિષ્ફળ, મયની નદી આજ મહેફીલે વહેતી લાગે છે, સમીર પણ આજ મદ-મસ્ત થઇ ગયો હશે, એકલવાયાઓ ને પણ અહી મેદની લાગે છે, સપના પણ આજ ઉઘી નહિ શકે સરખા રાત્રે, અર્ધ ખુલ્લી આંખો પણ આજ જાગતી લાગે છે. નીશીત જોશી 16.12.12

वोह एक चिड़िया है

54_SPARROWS ON WINDOW वोह एक चिड़िया है रोज खिड़की पे झांकती है पर कहाँ से लाऊ कोई दाना जो वोह खा सके ना भी गर दूँ उड़ के चली जायेगी ना कुछ बोलेगी ना इतरायेगी शायद यह भी अपनी जिन्दगी जैसी है ... नीशीत जोशी 15.12.12

नहीं करते तबीब, नाईलाज दर्द की दवा

love_doctor-other जहाँ में यह रूह, मुहब्बत तो करती है, मगर, चाहनेवालो के पीछे भटकती है, लगा कर दिल,एक रोग किया हासिल, फिर मुश्कुराने को, दिनरात तरसती है, वो कतरा भी लगता है समंदर के जैसा, आंसुओ को सैलाब कहकर मचलती है, हर एक परछाई, अपने मासूक की लगे, हर कोई आहट पर, यह रूह तड़पती है, नहीं करते तबीब, नाईलाज दर्द की दवा, दर्द- ए-दिल में दुआ ही साथ चलती है ! नीशीत जोशी 14.12.12

साकी तेरी आँखों में डूबना चाहता हूँ

old_grape_vineyard_wine_tasting_party_red_wax_seal_invitation-r2c2f62f1cd584df8b990605f9e577319_8dnmv_8byvr_512 साकी तेरी आँखों में डूबना चाहता हूँ, नशे में चूर हो कर बहकना चाहता हूँ, पिलाये जाओ तूम जाम पे जाम साकी, न पिने की वो कसम तोड़ना चाहता हूँ, रकीब भी देख लेगा पिने का सलीका, साकी,सभी से दोस्ती करना चाहता हूँ, आँखों के जाम तू छलकाना छोड़ साकी, मयखाना पि के खाली करना चाहता हूँ, लड़खड़ा जो गया तो संभल लेना साकी, तेरी बाहों में असर छोड़ना चाहता हूँ ! नीशीत जोशी 12.12.12

उतर आये है बादल

04_sad_eyes उतर आये है बादल, आँखों में आब बनकर , बे-लगाम उमडेंगे - बरसेंगे वो, सैलाब बनकर । उभर के आती है, तसव्वुर में तस्वीर उसकी , सितम ढाह जाते हैं वो जज़्बात,ख्व़ाब बनकर । दिल को खरोंच खरोंचकर, पूछते थे जो सवाल , रूबरू आज खड़े है सब सवाल , जवाब बनकर । समंदर को मानो, किसी साहिल की तलाश है , लहर की शक्ल आये हैं अश्क़ , हिसाब बनकर । ग़र्दिश सिखा रही है, आसमानों के सितारों को , ज़मीं पे उतरे हैं अश्क़, दर्द के अज़ाब बनकर । - नीशीत जोशी 09.12.12

हो गयी

vintage-writing-paper-with-pen-on-wood-3fa684 जब से तू मेरी जाँ हो गयी, *कामिल हर इम्तिहाँ हो गयी, complete चमन के हर फूल खिल उठे, फूलो से मेरी पहेचाँ हो गयी, रकीब बन गए दोस्त अब तो, ये कायनात महेरबां हो गयी, लिखे कुछ आसार कागज़ पे, ग़ज़ल दिल की जूबाँ हो गयी, हर वक़्त देखू तेरा ही नज़ारा, हर मेरी हरकत नादाँ हो गयी ! नीशीत जोशी 08.12.12

बताओ जरा

Beautiful Art (5).jpg_thumb कोई आज इन्सान के अंदर इन्सान बताओ जरा, गाँव में घर बहोत है कोई सही मकान बताओ जरा, बुराई के ऊपर अच्छाई हावी होती है,कहते है लोग, पर अच्छे दिलवालों में भी आज ईमान बताओ जरा, नफ़रत की आग में जलाते रहते है आज के वो आका, अगर हो कोई जहाँ में प्यार की खदान, बताओ जरा, घर को सजा के रखते है बेस कीमती हसीं वस्तुओ से, वस्तुओ में,खुदा की दी इज्जत के समान बताओ जरा, टूट टूट कर जबरन जिन्दा रहना पड़ता है इस जमीं पर, सुकून से जी सके कही भी ऐसा कोई स्थान बताओ जरा ! नीशीत जोशी 06.12.12

ગુરુવાર, 6 ડિસેમ્બર, 2012

तेरी शादी पे निकला जनाज़ा देख ले

sad तेरी शादी पे निकला जनाज़ा देख ले, पूरा किया मैंने अपना ये वादा देख ले, तूने सजायी है महेंदी किसी के नाम की, मेरे दिल को दिया ये तेरा ताना देख ले, सलामत रखे खुदा तुम्हे हुन्नर के साथ, वफ़ा के साथ कैसा है तेरा नाता देख ले, न आये मेरे राहबर बनने को तुम कभी, शहर-ए-खामोशा तक मेरा जाना देख ले, जिद थी अंधेरो को रोशन करने की मेरी, कब्र पे जुगनूओ पूरा करते है दावा देख ले ! नीशीत जोशी 04.12.12

કેવા તે પ્રશ્નો

wedding1-301012-630-jpg_075113 કેવા કેવા તે પ્રશ્નો કાળજે થાય છે, જવાબ શોધવા પણ ક્યાં જવાય છે, પોતે લાવે છે કોઇની દિકરી જ્યારે, વિદાય વેળા પોતાથી ક્યાં રડાય છે, થાય છે એવો જ પ્રસંગ પોતાને ઘરે, દીકરી સંગ ચોધાર આંસુ વહાવાય છે, પત્ની લાવ્યા એ પણ કોઇની છે કન્યા, દીકરી માટે જ આંસુ એ ક્યાંનો ન્યાય છે, પત્ની ન હોત તો દિકરી પણ હોત ક્યાંથી, સબંધોની આ પરોજણ કેવી તો વર્તાય છે. નીશીત જોશી 02.12.12

शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ?

A-Maple-Tree-Business-Three-Ways-Your-Business-Stands-Out-in-2012 शज़र के पत्ते सूखे सूखे से क्यों है ? परिन्दे आज डरे डरे से क्यों है ? आसमान का भी है रंग बदला सा, चमन के फूल जूके जूके से क्यों है ? किसी अदीब से पूछ तो लो, वजह, खामह के लब्ज रुके रुके से क्यों है ? तंगदस्त है शाह-आलम भी आज, ग़म-गुसार दिल से टूटे टूटे से क्यों है ? मुहोब्बत में दिल टूटना हादसा नहीं, फिर मुहिब्ब आज छुपे छुपे से क्यों है ? नीशीत जोशी 01.12.12 अदीब = writer, खामह= pen, तंगदस्त=poor,penniless, ग़म-गुसार=intimate friend मुहिब्ब= lover

ख्वाब को आंसू

lovers-in-landscape हसीं ख्वाब को आंसू, दिखाया न करो, ता' बीर प्यार की , यूँ जताया न करो, नादिर तौफा मिला है कुदरत से तुम्हे, गिले शिकवे से दिल दुखाया न करो, चाँद भी खिल उठता है, चाँदनी देखके, अंधेरो के जिक्र से, पल गंवाया न करो, राहबर माना है, तो हर राह साथ चलना, शानों पे जो रक्खें, सर को हटाया न करो, सात समन्दर पार, चले जाए तो क्या? यादो को सरहदी लकीर, जताया न करो ! नीशीत जोशी ता' बीर= interpretation of a dream, meaning, attribute नादिर = rare, precious, wonderful शानों = shoulder 30.11.12

मेरी जब रुखसत होगी

8170620397_90f7ca8978_m इस जहाँ से मेरी जब रुखसत होगी, दावा है हसने में तुजे मशक्क़त होगी, आती रहेगी याद साथ बिताये पल की, तेरे दर्द में कुछ और भी बरकत होगी, घेरे रहेंगे अपने लोग तुजे तेरे ही घरमें, मारेंगे ताना, तुजसे जब फुरक़त होगी, पहोचोगे पी के अश्क जब कब्र पे मेरी, दफनायी हुई लाश में भी हरकत होगी, देखेंगे लोग रुखसत के बाद का मिलन, दिलो में अपने प्यार की अजमत होगी ! नीशीत जोशी 29.11.12

નથી ફેક્યા

3524485201_bde5050479 ક્યારે લોકોએ વાતોના પથરા નથી ફેક્યા? એ પત્રોને એમ જ અમે બળવા નથી ફેક્યા, મુલાકાત નો એ સમય લાગે છે વીતી ગયો, અમે તેના વિચારો પણ અળગા નથી ફેક્યા, એ લઇ ગયેલા દરિયે પોતાનું ચિત્ર આંકવા, મઝધારે થી અમને કઈ તરવા નથી ફેક્યા, કાન ની કચાસે જ કર્યું હશે તેનું કામ ક્યારેક, શબ્દોએ મૌન બાણ ફક્ત ધરવા નથી ફેક્યા, નામ તો થયું અમારું, બદનામ એ થઇ ગયા, મદિરાલયની બા'ર સુનામ કરવા નથી ફેક્યા. નીશીત જોશી 26.11.12

तस्सवूर में भी गर आ जाओ

G तस्सवूर में भी गर आ जाओ ,इश्क की कीमत हो जाये, तुम आ के गर जरा मुश्कुराओ,बुलन्द किस्मत हो जाये, पूनम की चाँदनी रात हो, और हवा लहेराती हो मंद मंद , तुम ऐसे में होले होले आ जाओ,रूमानी नियत हो जाये, कदम भी उठाना आहिस्ता आहिस्ता फूलो की राह पर, सोये है वो कांटे, देखना कहीं उसकी न हिम्मत हो जाये, उफान दिल का बढ़ता बढ़ता अब है सातवे आसमान पर, इसी जमीं के तुम पेश आओ, जिन्दगी जिद्दत हो जाये, सब सितारों का हुजूम उमड़ पड़ता है निशि रात को भी, अब ऐसा ही कुछ फरमाओ, मुहोब्बत की इज्जत हो जाये ! नीशीत जोशी (जिद्दत = newness, originality) 25.11.12

શનિવાર, 24 નવેમ્બર, 2012

हमें आता नहीं

तुम्हे कैसे भुलाया जाए ये हमें आता नहीं, यादो को कैसे सुलाये, कोई समजाता नहीं, जागती रहती है ये आँखे,ना कह नहीं पाते, क्या करे रातो को तेरा वो ख्वाब जाता नहीं, सुनहरे पल जो कभी साथ बिताये थे हमने, क्या करे आँखों से वो पर्दा कोई हटाता नहीं, अपना कहने को बचा था एक दिल,गवा बैठे, क्या करे वापसी का दिन कोई बताता नहीं, हमने खेली थी हर बाज़ी हारने की ज़िद में, क्या करे जीत का वो जश्न कोई जताता नहीं ! नीशीत जोशी 23.11.12

तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ?

तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ? अंजुमन में आफ़ताब दिखायेगा कौन ? मियाद पूरी होने पे ही ठिकाने पहुंचेंगे , अधूरे ख्व़ाब की अधूरी राह जायेगा कौन ? ज़मीं के हो कर रह जायेंगे ज़मीं पर ही, वो अर्श-ओ-फ़र्श का फ़र्क बतायेगा कौन ? फँसी कश्ती निकल आये जो इत्तेला मिले, अब बिन पतवार कश्ती को बचायेगा कौन ? ज़िन्दगी की किताब के पन्ने कोरे रह गए, अब ख़ून भरी कलम से लिखवायेगा कौन ? नीशीत जोशी 21.11.12

नफ़रत की हम हिफाजत नहीं करते

हम किसी की हिमायत नहीं करते, आप भी कभी इनायत नहीं करते, दिल जिसे कहते थे अपना, मगर, लुटा बैठे, पर शिकायत नहीं करते, गरीब बन के प्यार की इल्तजा कि, शाह है पर हम सियासत नहीं करते, नासमज, करते रहे वजन तौफे का, प्यार में हम किफायत नहीं करते, मुहोब्बत कि है, करते रहेंगे ता'उम्र, नफ़रत की हम हिफाजत नहीं करते ! नीशीत जोशी 19.11.12

આ જગ માં જુઓ બધા બેહાલ છે

આ જગ માં જુઓ બધા બેહાલ છે, મારા પણ કંઈક એવા જ હાલ છે, મોંઘવારીએ વાળ્યો છે એવો દાટ, કેળાની પણ હાથમાં આવે છાલ છે, નથી લઇને જતા બાળકો ને બહાર, હવે તો રજા માં આરામ જ ઢાલ છે, હૃદય રુદન કરતુ રહે અંદરો અંદર, 'ને ચહેરાએ પહેરી હાસ્યની ખાલ છે, ખિસ્સામાં છો ને કંઈ નાં હોય, તો શું? વાતોમાં તો બધા જ માલા-માલ છે. નીશીત જોશી 17.11.12

कोई कुछ भी कहे औरत के बारे में यहां

मां से बडी जहां मे खजालत नही होती, प्यारी बीबी से बडी लताफत नही होती, प्यार हो जाता है पहेली नजर में, मगर, प्रेयसी से बडी कोइ कयामत नही होती, भाई बहन का प्यार अनमोल है जहां में, बहन जैसी किसी की हिफाजत नही होती, एक ही फर्क होता है लडके और लड़की में, अपनी बच्ची से कोइ हिमायत नही होती, कोई कुछ भी कहे औरत के बारे में यहां, उससे बडी कुदरत की करामात नही होती । नीशीत जोशी 16.11.12 …ख़जालत= happy, auspicious, and blessed, लताफत= pleasantness

सुलग उठता है जिगर

सुलग उठता है जिगर तुजे भूलाने से, दिल बैठ जाता है यहाँ तुजे बूलाने से, वो सुक जाते है शाक के पत्ते पेड पे ही, शाक भी रो पड़ती है तुजे न जूलाने से, सपनों ने भी नींद का रास्ता छोड़ दिया, ये जागती रहती है आँखे तुजे सूलाने से, इन होठो को हसते हुए हो गए है अरसो, मगर बाज़ नहीं आते हो तुम रुलाने से, तैरता है बदन पानी के ऊपर समन्दर में, लहर शायद थम जायेगी लाश डुबाने से ! नीशीत जोशी 15.11.12

ગુરુવાર, 15 નવેમ્બર, 2012

फरिस्तो ने

बेहिस्त जाते हुए रोका फरिस्तो ने, खुदा का वास्ता दे, टोका फरिस्तो ने, कारगर ना हुए प्यार की राह चलके, यहाँ भी दे दिया धोका फरिस्तो ने, रूबरू हो जाते तो रंजिश भी न रहेती, विरह की आग में जोंका फरिस्तो ने, सुन ली होगी किसी अपनो की दुआ, पुरदर्द रास्ता समज टोका फरिस्तो ने, हदीस पढ़ निकले थे हबीब पाने को, पादश भूल, दिया मौका फरिस्तो ने, नीशीत जोशी बेहिस्त= heaven, पुरदर्द= sorrowful, हदीस= words of Prophet Mohammed, पादश= punishment

चाँद भी कभी चाँदनी के लिए छूपा होगा

चाँद भी कभी चाँदनी के लिए छूपा होगा, रात ढलने के इंतज़ार में कहीं रुका होगा, रोशनी को बूजा के खुश हुआ होगा बहोत, जुगनुओ के आने पर ही शायद रूठा होगा, चाँदनी ने छिपाये होगे सितारे आसमाँ में, चाँद को ढूढ़ते ढूढ़ते ही सितारा टुटा होगा, गुलदस्ता बन कर सितारे चमक गए होगे, चाँद ने अंधेरो में प्यार का जोश फूका होगा, चाँद मुहब्बत करता है चाँदनी से बेहिसाब, देखके प्यार दोनों का आसमाँ भी जूका होगा ! नीशीत जोशी 05.11.12

ખરવા નથી જવું

ઘણો કર્યો પ્રેમ, હવે સંતાપ કરવા નથી જવું, છો ને આવી હોય પાનખર,ખરવા નથી જવું, અજનબી બની ગયા માનેલા જેને પોતાના, ડરથી હવે પોતા સાથે પણ ફરવા નથી જવું, મજધાર લઇ જઈને ડુબાડી ન દે સમુદ્ર મધ્યે, આવડવા છતાંય હવે દરિયે તરવા નથી જવું, સાચવી રાખ્યું હતું અમાનત સમજી એ હૃદય, છો રહ્યું તૂટેલું, કોઈ અન્યને ધરવા નથી જવું, લાગણી થાકી આંખોથી વહાવી વહાવી આંસુ, રણમાં હવે મૃગજળનાં જળ ભરવા નથી જવું . નીશીત જોશી 05.11.12

દરવાજા બંધ થઇ ગયા

અંધારું થયું 'ને નગરના દરવાજા બંધ થઇ ગયા, રાત આવી 'ને સપના સજાવાના પ્રબંધ થઇ ગયા, એવી તે ચકડોળે ચળાવી વાતો પ્રેમના પ્રકરણની, એ નગરમાં તેની વાતોના જુઓ નિબંધ થઇ ગયા, જૂની ચોપડીમાં જોઇને ફૂલ, ઈતિહાસ સામે થયો, આજે જુઓ ચોપડીના બધા પાનાં સુગંધ થઇ ગયા, થાકી ગયા છીએ લાગણીઓને આપી આપી તાકાત, હવે તો જુઓ યાદોની સંગ જ ફક્ત સંબંધ થઇ ગયા, ચાલતા કાફલા સંગ, ભૂલા પડી ગયા 'તા એક પથે, એકલતા ભોગવતા આ હૃદયના પણ સ્કંધ થઇ ગયા . નીશીત જોશી 03.11.12

हमसे ठुकारेये हुए लोग देखे नहीं जाते

पाये हुए वो तौफे कभी बेचे नहीं जाते, हम किसीको इल्जाम देने नहीं जाते, छोड़ दिया उनकी गलियों से गुजरना, हमसे वफ़ाओ के भरम ज़ेले नहीं जाते, दिल तोड़ के करते है जोड़ने का फरेब, हमसे रकीबोसे भी खेल खेले नहीं जाते, कहने को तो निकले थे हमराही बनके, हमसे रुसवाई में कदम चले नहीं जाते, तोड़ दिए है हमने घर के सभी आयने, हमसे ठुकारेये हुए लोग देखे नहीं जाते ! नीशीत जोशी 02.11.12

मैं नशे में हूँ

पी ली है बेहिसाब, मैं नशे में हूँ, न दे पाऊंगा जवाब,मैं नशे में हूँ, जलता है बदन, पानी नहीं यहाँ, यहाँ है बस शराब, मैं नशे में हूँ, सूज गयी है आँखे बहा के आंसू, पीते रहे है वो आब,मैं नशे में हूँ, हसते हसते वोह दे रहे थे ज़ख्म, कैसे बताये हिसाब, मैं नशे में हूँ, न पूछना कोई मेरे पीने का सबब, रूठ गये है सब ख्वाब,मैं नशे में हूँ ! नीशीत जोशी 01.11.12

महबूब

बदल रहा है मौसम की मेरा महबूब आने वाला है, बाग़ भी आज फूलो का गुलदस्ता सजाने वाला है, मुद्दत से करते थे इन्तजार जिस पल के लिए हम, आज मेरी तकदीर का पन्ना महबूब पाने वाला है, चाँद को भी आज छुप जाना पड़ सकता है कहीं पे, आके मेरा महबूब आज चाँद को शरमाने वाला है, खरोच ना लगे, ऐ हवा! जरा आहिस्ता से लहेराना, मेरा महबूब तेरी ही वादियों में आज नहाने वाला है, सुनी महेफिल भी आज रोशन हो जायेगी बाबस्ता, मुझे ढूंढ़ने मेरा महबूब उस महेफिलमें जाने वाला है ! नीशीत जोशी 30.10.12

दिल की बात सुन ही लेंगे

आएगी जो तेरी याद,यादो के सहारे जी लेंगे, छुपा के गम को,सभी के सामने हस भी लेंगे, बह भी जाएगा जो दरिया उन आँखों से गर, उल्फत में अपनी आँखोंके अश्क को पी लेंगे, अकले गुनगुनायेंगे दास्ताँ-ए-मुहब्बत अपनी, मिली उस तन्हाई में लगे जख्मो को सी लेंगे, निकलगे तेरी गलियों से लड़खड़ाते हुए हम, दिल के हर टुकड़े को करीब से देख भी लेंगे, ये दिमाग गुफ्तगू करता रहेगा दिल से अगर, मुहब्बत के आका, दिल की बात सुन ही लेंगे ! नीशीत जोशी 29.10.12

તુજ વગર

આજ આ હૃદય તડપે છે તુજ વગર, અજવાળા પણ સરકે છે તુજ વગર, સમય ચાલતો રહે છે તેની રફતારે, પણ ધડકન ક્યાં ધડકે છે તુજ વગર? લઇ જાય છે મુજને બધા એ બાગમા, પણ ગુલાબો ક્યાં મહકે છે તુજ વગર? આભનાં સિતારા દેખાડે છે રસ્તો કોઈ, એ રસ્તે ક્યાં કોઈ ફરકે છે તુજ વગર? થઇ ગઈ છે સુની એ પાળ કિનારાની, ઉછાળા લઇ લહેરો ભડકે છે તુજ વગર. નીશીત જોશી 28.10.12

શનિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2012

कलम

उन कोरे कागज़ पे चल पड़े कलम, स्याही न हो तो खून से चले कलम, ख़त लिखना कोई आसां नहीं होता, प्यार के जज्बात वास्ते जले कलम, चिठ्ठी में लिखना तो है बहोत मगर, उनके एक नाम से आगे न बढे कलम, लिख जो पाऊं नाम-ए-महेबूब के आगे, जहां के किस बाज़ार से ऐसी ले कलम, वो ख़त भी बन जाये बेमिसाल किताब, अगर महेबूब के अहेसास को पढ़े कलम ! नीशीत जोशी 26.10.12

देख लेंगे

आओगे जो तुम, तुम्हारा नूर देख लेंगे, सबके ओठो पर नाम मशहूर देख लेंगे, एक पत्थर को तराशते रहे हो तुम यहाँ, उसी पत्थर को बनाते कोहिनूर देख लेंगे, आ जाना कनीज़ की गलियों में कभी तो, ना देख पाए जन्नत तो क्या हूर देख लेंगे, खुदा की रहेमत है बनायी जो खूबसूरती, आओगे जो आज, तुम्हे मामूर देख लेंगे, लाख रहो परदे में छुप के जो महेफिल में, तेरी कमसिन नजरो के मखमूर देख लेंगे ! नीशीत जोशी (मामूर = पूर्ण ,मखमूर= नशे में चूर) 25.10.12

यह जनम भी अब लगता है गुजर जाएगा

यह जनम भी अब लगता है गुजर जाएगा, मुहोब्बत के वास्ते जिस्म भी ऊपर जाएगा, रूठने मनाने का जो दस्तूर था मुहोब्बत में, जन्नत देखके क्या प्यार से मुकर जाएगा? बगैर महेबूब रास न आयेगी जन्नत की हवा, उसे देखके मौसम भी वहां का सुधर जाएगा, सुके शजर पे भी आ जायेंगे खुश्बूदार फूल, उसे छू के हवा का ज़ोंका जो उधर जाएगा, रोशनी की अजमत का भी हो जाएगा नाम, चाँद गर उसे देखके खिलने से मुकर जाएगा ! नीशीत जोशी 24.10.12

हम उनकी जुबाँ पे अपना नाम तक ला न सके

बसा कर भी दिल में उन्हें कभी पा न सके, बन कर राहबर भी मंजिल तक जा न सके, बुलाना चाहे पर उनकी मजबूरियो ने रोका, ख्वाइश रहते भी आशियाने तक आ न सके, ऐसे तो गुनगुनाते थे उनके नाम की गज़ले, रूबरू जो हुए बन कर गूंगे कुछ गा न सके, दस्तूर है मुहोब्बत में निगाहें चार होने का, उठा न सके हया का परदा, प्यार पा न सके, जहाँ के लोग दिल में कैसे बना लेते है जगह, हम उनकी जुबाँ पे अपना नाम तक ला न सके ! नीशीत जोशी 18.10.12

चले आना

आये जो याद तो खयालो मे चले आना, दुर हो तो क्या हुआ सपनो मे चले आना, कहते हो तस्वीर बनाके छुपायी है दिलमे, धुंधली लगे तस्वीर, आँखों में चले आना, रहना यही कही इर्द-गिर्द ही सांज-सवेरे, लहराते उन हवा के जोंको में चले आना, तन्हाई में लगे गर फुल मुरजाने चमन के, बदलके रुख मौसम का बहारो में चले आना, सन्नाटा बहोत होता होगा उस वीराने में, बनके बोल, परिंदों की आवाजो में चले आना ! नीशीत जोशी 16.10.12

કેમ ફરીને લાવું

તુજને ભૂલી જવાની હિંમત કેમ કરીને લાવું, કહો,હવે કોના ભારી કલેજાને ભરખીને લાવું, પછીનો બીજો શ્વાસ આવે છે તુજની રહમતે, કહો, આ હૃદયે હવે કોના શ્વાસો ભરીને લાવું, એકએક પળ નીકળે છે એકએક ભવ માફક, પણ એ કહો, બીજી જિંદગી કેમ મરીને લાવું, જુઓ આ દરિયો પણ ચડ્યો છે કેવા તોફાને, કિનારા મુઝાય છે કે લહેરો કેમ તરીને લાવું, આ જન્મે બનાવ્યો છે મનુષ્ય તુજને ભજવા, તુજ ભજવા કાજ બીજો જન્મ કેમ ફરીને લાવું. નીશીત જોશી 15.10.12

हो जाती है

ये जमाने में मुहोब्बत भी सजा हो जाती है, दारु भी कभी कभी यहाँ पे दवा हो जाती है, कदम थक जाते है चल के मुश्किल राह पर, हमसफ़र रहे साथ तो रूह जवां हो जाती है, रूठ जाये जो प्यार में मान जाने की शर्त पे, रुसवाई भी उनकी वल्लाह अदा हो जाती है, शराब के पिने से नशा तो चड़ता जरूर होगा, महेफिल में लड़खड़ाते पाँव खता हो जाती है, उनके यहाँ पर भी अजीब वो दस्तूर को देखा, वफ़ा की बाते अगर करे तो खफा हो जाती है ! नीशीत जोशी 14.10.12

असर तो हुआ

अनकही वो बातो का असर तो हुआ, मेरे इस दिल का कही कदर तो हुआ, फरिस्ते मांगके ले गए है वो दिल को, नबी के यहाँ दिल जरा नजर तो हुआ, खबर दे दी है जहांवालो से, जिन्दा हूँ, इल्तजा रखनेवालो को सबर तो हुआ, अन्जान राह थी पर रुके न थे कदम, मर कर हमारा पूरा ये सफ़र तो हुआ, जिक्र चल पड़ा जन्नत में भी हमारा, तुज पे ना सही, हूर पर असर तो हुआ ! नीशीत जोशी 13.10.12

શનિવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2012

पीने ना दिया

मयखाने तक गये पर पीने ना दिया, महेफिल से किसीने हिलने ना दिया, सजानी थी सेज हमें खुश्बूदार फूलोसे, बागबानने फूलो को खिलने ना दिया, भुला नहीं सकते साथ बीताये पलोको, खूबसूरत लम्हों के साथ जीने ना दिया, मदहोश हो जाते उन आँखों के जाम से, मगर मय ने साकी से मिलने ना दिया, रास्ता अन्जान था, ठोकरे भी खायी, पर खुदा की रहमत ने गिरने ना दिया ! नीशीत जोशी 12.10.12

હવે નજીક ઇશ્વરના ઘરની ડેલી છે

આ જીવન માં ઘણી અધુરી વાતો રહી ગયેલી છે, પુરી કેમ થાય,હવે નજીક ઇશ્વરના ઘરની ડેલી છે, જીંદગી વીતાવી નીત નવા કપડા પહેરવાના મોહે, પણ શરીરે એક ચીથરા વગર જ ચીતા સજેલી છે, સમજેલા,માનેલા જેઓને પોતાના આ દુનીયા માહી, પણ મૃત્યુએ સમજાવ્યુ આ બધાની મુરાદ મેલી છે, સમજાયુ મીથ્યા,તુક્ષ છે બધા સબંધો આ દુનીયાના, સાચી સબંધોની લાગણી ફક્ત ઇશ્વરમાં જ ભરેલી છે, તુટશે નહી,ઇશ્વર,હવે ક્યારેય સબંધો આપણી વચ્ચેના, છો આપ દૌલતના શહેનશાહ તો મુજ હાથમાં થેલી છે. નીશીત જોશી 11.10.12

अश्क आज आँखों से बहने लगे है

अश्क आज आँखों से बहने लगे है, ना जाने किस दर्द को कहने लगे है, जानते थे, रास्ता है मुश्किलों भरा, राह के फूलो से क्यों जलने लगे है? दिल बेकरार था, तस्वीर की याद में, तस्सवूर क्यों अलायदा चलने लगे है? साहिल को किनारा मील ही जायेगा, टूटी कश्ती को क्यों पार करने लगे है? जुगनुओ की रोशनी से उजाला हुआ, बूजा चराग क्यों अँधेरा सहने लगे है? नीशीत जोशी 10.10.12

क्या तरकीब आजमाई थी

घायल करने की उसने क्या तरकीब आजमाई थी, खंजर से नहीं उसने नजरो से ही क़यामत ढायी थी, निकल रहे थे जो उनकी महेफिल से किनारा करके, पर जब मुड के देखा तो पीछे उसकी ही परछाई थी, निकले कही और जाने को,मयखाना दरमियाँ आया, खूब याद रहा,ना पिने की कसम उसीने खिलायी थी, कसम आज तोड़ दी देख कर कजरारे दो नयनो को, नजरो के जाम पिने की बात आशिको ने बतायी थी, लगा जैसे जन्नत जमीं पर सिर्फ उनकी आँखों में है, उसने पहली नजर से ही मुहोब्बत की राह दिखायी थी ! नीशीत जोशी 09.10.12

वोह लड़की

कहते है, वोह लड़की बड़ी गुमानी है, उसके नुरानी चहरे पे बहोत पानी है, लोग बुलाते है पागल कह करके उसे, मुहब्बत की पागल मेरी ही दीवानी है, रूठ जाती है पर मान जाने की शर्त पे, कहते है यही अजीब उसकी रवानी है, अदायगी उसकी तो क़यामत ढाती रहे, रग रग में उसकी अलायदा जवानी है, कायल तो हम भी हैं उसकी नजाकत से, क्या कहे, उसके साथ की मेरी कहानी है ! नीशीत जोशी 08.10.12

પિતૃઓને

પિતૃઓર્ને હવે કોઇનો ત્રાસ જોઇતો નથી, કોઇ નપાવટો નો સહેવાસ જોઇતો નથી, બનાવટી મુખટે બની બેઠા છે સદાચારી, પિતૃને નામે ચરનાર દાસ જોઇતો નથી, પિતૃપક્ષમાં પુજાય છે પિતૃઓ ઇશ્વર રુપે, હયાતી પળે કહ્યુ,સાથ ખાસ જોઇતો નથી, જીવતા જીવે તો કર્યા અન્નના પણ વાંધા, નાદાનો, પિતૃને ફેકેલો વાસ જોઇતો નથી, સ્વર્ગ જેવા ઘરને પણ બનાવ્યુ નરક સમુ, પણ પિતૃઓને આવો આવાસ જોઇતો નથી. નીશીત જોશી 06.10.12

बदल गये है वो

बदल गये है वो कितने, हालात की तरहा, अब मिलते है, पहली मुलाक़ात की तरहा, हम क्या किसीकी जिन्दगी को सवारेंगे, ये जिन्दगी मिली है हमें, खैरात की तरहा, यकीं नहीं होता अब भी, बेवफाई का सिला, पर घाव उभर आते है, सवालात की तरहा, कैद में है, हर लब्ज अब मेरे, उनके दर्मिया, आँखे बोल पड़ती है अब, बरसात की तरहा, लिखने बैठते ही, सामने दिखे तस्वीर उनकी, कलम भी चल पड़ती है, जज्बात की तरहा ! नीशीत जोशी 05.10.12

आजमाया

कभी अपनो ने, तो कभी रकीबो ने आजमाया, ये नादाँ दिल को न जाने कितनो ने आजमाया, जोली ले के खुद माँगने गए जो उनके दरवाजे, उनके मंदीर के बहार हमें फकीरों ने आजमाया, सोचा फूलो से भरी राह होगी मुहोब्बत की यहाँ, उसी राह चलके देखा, बेदर्द कांटो ने आजमाया, तस्सवुर में ही बनायी तस्वीर अपने हमसफ़रकी, आँखों ने दिया धोका और अश्को ने आजमाया, हर बार नयी उम्मीद निकल पड़ती है जहन से , जिन्दगी के इस सफ़र में ख्वाइशो ने आजमाया ! नीशीत जोशी 04.10.12

હવે દરેક પથ અટકાવે છે મુજને

હવે દરેક પથ અટકાવે છે મુજને, યાદના પડછાયા ડરાવે છે મુજને, ભુલી જવા કરૂ છુ મથામણ ઘણી, દરેક શ્વાસ યાદ અપાવે છે મુજને, કરૂ સહજ સંવાદ લોકો દરમીયાન, તુજ નામ લઇને ભરમાવે છે મુજને, ગઝલ ગાયેલી મેં એક વખત સાંજે, તો ચાંદ સંગ સૌ સરખાવે છે મુજને, એ બાગ પણ જાણે કરમાઇ ગયો છે, વાંક કાઢી ફુલો પણ સતાવે છે મુજને. નીશીત જોશી 03.10.12