મંગળવાર, 20 ડિસેમ્બર, 2016
यूं तेरा कुछ गुनगुनाना याद है
२१२२-२१२२-२१२२-२१२
रात ख़्वाबों में जगा कर वो सताना याद है,
हमको दिल की बेक़रारी का बढ़ाना याद है !
लिख रहे थे नाम किसका रेत पर दिलसाज़ से,
फिर उसीका नाम लिखकर वो मिटाना याद है !
दिल्लगी करते रहे तुम प्यार के उस नाम से,
फिर मेरा ही नाम लेकर खिलखिलाना याद है !
वस्ल की उस शाम को शरमा रहे थे तुम तभी,
वो तेरा दाँतो से होंठो को दबाना याद है !
क़ैस की वो बात सुनकर हंस पड़े थे जिस तरह,
फिर उसे राज़ो-नियाज़ी में जताना याद है !
बारिशों में भीग कर तुम लग रहे थे बेनज़ीर,
फिर यकायक बाम पर मुझको बुलाना याद है !
रोशनी करते रहे पढ़कर ग़ज़ल वो 'नीर' की,
महफ़िलो में यूं तेरा कुछ गुनगुनाना याद है !
नीशीत जोशी 'नीर'
जानता हूँ कि मुझसा मिलेगा नही
212-212-212-212
साथ कोई मेरे जब रहेगा नहीं,
अश्क भी आँख से तब रुकेगा नहीं !
याद आ कर सताने लगा क्यूँ मुझे,,
दिल तेरे सामने पर ज़ुकेगा नहीं !
गुफ्तगू प्यार की करता था वो बहुत,
तोड के दिल मेरा अब कहेगा नहीं !
उस कहानी में होगा मेरा दर्द भी,
इस लिये दास्ताँ वो सुनेगा नहीं !
अब नहीं है कोई ग़म मुझे हिज्र का,
जानता हूँ कि मुझसा मिलेगा नही !
हो मसायब भी उस राह में गर मेरी,
दर्द अफ़्ज़ा कभी तो दिखेगा नहीं !
तू सितम कर सनम दर्द भी दे, मगर,
प्यार ये 'नीर' का जो मिटेगा नहीं !
नीशीत जोशी 'नीर'
(मसायब=मुसीबतें,दर्दअफ्ज़ा=दर्द बढानेवाला)
कभी कोई कभी कोई
1222-1222-1222-1222
मुहब्बत आजमाता है, कभी कोई कभी कोई,
कहानी फिर बनाता है, कभी कोई कभी कोई !
तेरी आवाज का जादू, न रह पाया, यहाँ अब तो,
गज़ल फिर,क्यों सुनाता है,कभी कोई कभी कोई !
मेरा दिलबर कभी आये मेरे वीरान इस दिल में,
बहानें क्यों बनाता है, कभी कोई कभी कोई !
हमारे प्यार का चर्चा जमाने भर में है शायद,
तभी तो दिल जलाता है, कभी कोई कभी कोई !
मसायब आ गयी तब, दर्दअफ़्ज़ा जब मिला होगा,
तभी पलकें भिगोता है, कभी कोई कभी कोई !
सभी से ही यहाँ आगे निकलने को करे जहमत,
कि रस्ते से हटाता है, कभी कोई कभी कोई !
हुआ होगा उसे गम, 'नीर' की भी मौत पर लेकिन,
खुशी यूँ ही जताता है, कभी कोई कभी कोई !
नीशीत जोशी 'नीर'
(मसायब=मुसीबतें, दर्दअफ़्ज़ा=दर्द बढ़ानेवाला)
गज़ल की ये कैसी इबारत हुई है !
122-122-122-122
तेरे इश्क की जब से शोहरत हुई है,
हरएक सिम्त से मुझ पे लानत हुई है !
सितम देख लो मेरी किस्मत के यारो,
कि इक बेवफा से मुहब्बत हुई है !
तमन्ना थी दिल में करे प्यार कोई,
मगर मुझ से कैसी शरारत हुई है !
कभी इक बेबस को खुश कर दिया था,
यही इक मुझ से इबादत हुई है !
नहीं छोड पाया है दिल पर कोई नक्स,
गज़ल की ये कैसी इबारत हुई है !
दिआ साथ सच का हरएक बात में जब,
मेरी अच्छी खासी फज़ीहत हुई है !
मैं जिन पर मिटा हूँ सदा 'नीर' उनको,
मुझे आज़माने की चाहत हुई है !
नीशीत जोशी 'नीर'
मिला है ये तजुर्बा आशकी से !
1222 1222 122
बहुत उकता गया जब शायरी से,
मिला तब दर्द मुझको जिंदगी से !
गज़ल कहकर छुआ था तेरे दिल को,
खुशी मिल तो रही थी तिश्नगी से !
नकाबो में ही रहते है यहाँ सब,
मिलेगा बस वो धोखा आदमी से !
खता भी गर हुई होगी मेरी जब,
खुदा होगा कभी खुश बंदगी से !
कभी तो तू भरोशा कर मेरा भी,
सदा मैं तो रहा हूँ सादगी से !
मुहब्बत में नहीं कोई किसीका,
मिला है ये तजुर्बा आशकी से !
कभी तन्हा कभी बरबाद हो जा,
शिकायत 'नीर' की कर मुस्तदी से !
निशीत जोशी 'नीर'
करोगे याद तो हर बात याद आएगी
1222 1222 1212 22
करोगे याद तो हर बात याद आएगी,
हमारे वस्ल की हर रात याद आएगी !
गुजारे वक्त का कोई हिसाब तो होगा,
कभी तो दी हुई सौगात याद आएगी !
खिलाडी हो बखूबी जीत का मज़ा लेना,
पुराने खेल की हर मात याद आएगी !
सफर में जो हुआ था वो कहें किसे दिलबर,
मिली थी हमसफर की घात याद आएगी !
बहारें लौट आने का सबब करे कोई,
तभी पतझड़ को भी औकात याद आएगी !
अधूरा प्यार जब जब याद आ रहा होगा,
वो दी थी 'नीर' को खैरात याद आएगी !!
नीशीत जोशी 'नीर'
नहीं कमजोर तू
1222 1222 122
वो है गर बेवफा तो, बेदार हो जा,
वफा की दे दुहाई, दिलदार हो जा !
गुना है इश्क गर, मत सोच फिर तू,
उसे कर, और गुन्हेगार हो जा !
तुझे गर रोशनी की इल्तजा है,
किसी सूरज का रिश्तेदार हो जा !
सुना कर फिर नया कोई तराना,
सभी के बीच इक फनकार हो जा !
नहीं कमजोर तू,उस मर्द से भी,
बढा कर तू कदम,हमवार हो जा !
नीशीत जोशी
અહીં તે દુ:ખ નો અધ્યાય પણ વંચાય છે શું?
તમારી વાતથી આ માણસો ભરમાય છે શું?
કરીને પ્રેમ પાછા એ બધા સંતાય છે શું?
અહીં સાથે રહેવાના કરે છે કોલ પ્રેમી,
કહો તો ઝીંદગી આખી કદી સચવાય છે શું?
કહે છે મહફિલો લાગે સુની સાકી વગરની,
અહીં કોઈ શરાબી પણ હવે મુંઝાય છે શું?
હજી બાકી રહ્યા છે કોડ પૂરા કોણ કરશે,
અહીં અજવાળુ પરદાથી કહો ઢંકાય છે શું?
લખું છું દર્દ તો લોકો કરે છે વાહ વાહી,
અહીં તે દુ:ખ નો અધ્યાય પણ વંચાય છે શું?
નીશીત જોશી
वो कभी तन्हा सफर में खो गए
२१२२ २१२२ २१२
वो कभी तन्हा सफर में खो गए,
तब तसव्वुर में असीरी हो गए,
तोडकर दिल फिर सुकूँ उनको मिला,
देख सादाँ हम उसे खुश हो गए,
वस्ल की उम्मीद उसने छोड़ दी,
हिज्र के ग़म को बढ़ा कर वो गए,
शाम तन्हा रात भी खामोश थी,
ख्वाब ने ओढा फलक फिर सो गए,
मुद्दतो से वो रहे खामोश पर,
गुफ्तगू को बेबहा लब हो गए !
नीशीत जोशी
(असीरी= कैद, बेबहा= बहुमूल्य)
રવિવાર, 20 નવેમ્બર, 2016
पैसा कहीं काला नहीं होगा
वो पहले था जो कारोबार अब वैसा नहीं होगा,
तिजारत तो सही पैसा कहीं काला नहीं होगा !
यहाँ हर आदमी हैरां है अपने मुल्क का यारों,
परेशानी बढा कर खुद कभी महंगा नहीं होगा !
हरारत में उठा होगा कदम बक्सा न जायेगा,
कहीं तो हो गये है नामज़द ऐसा नहीं होगा !
रहो खुद साफ तो कोई बिगाडेगा नहीं कुछ भी,
लिबास-ए-जि़न्दगी फट जाएगा मैला नहीं होगा !
मगर कोॆई कहाँ सुनता किसीकी है यहाँ अब तो,
यही सब सोचते है की कभी चरचा नहीं होगा !
नीशीत जोॆशी
( नामज़द = प्रसिद्ध)
पहले मुहब्बत कर
यह ग़ज़ल ही जिंदगी का सार है
2122-2122-212
यह ग़ज़ल ही जिंदगी का सार है,
जीत ली थी वो मगर अब हार है !
वो मंजर तो इस समंदर पार है,
अब सफीना भी मेरा मझधार है !
है बहुत साथी मगर कबतक मेरे,
कुछ भी कहने पर दिखे अग़्यार है !
बदसलूको की गुलामी क्यों करें,
वो है ही जबतक उसे दरकार है !
अब नये ग़म और आँसू भी नये,
जिंदगी जीना मेरा दुश्वार है !
देख कर तुम आइना डर क्यों गये,
चेहरा तो रोज का फनकार है !
प्यार को मौजूद अंदर ही रखा,
'नीर' का तो बस यही असरार है !
नीशीत जोशी 'नीर'
(अग़्यार=strangers,rivals
असरार=secret)
हर तरफ चर्चा रहा अपनी मुहबब्त का
2122 2122 2122 212
आते जाते आईने से गुफ्तगू होती रही,
फिर मुहब्बत की मुझे बस आरजू होती रही !
प्यारका मुझपे वो जादू इस कदर छाया कि बस,
आप से तुम और तुम से फिर वो तू होती रही !
वस्ल की कोई खुशी मुझको नही होगी यहाँ,
हिज्र की जबसे मुझे तो साद खू होती रही !
खत लिखा था और भेजा भी नहीं मुझको कभी,
काशिदो की बात से अब ये सबू होती रही !
हर तरफ चर्चा रहा अपनी मुहबब्त का मगर,
दोस्त सब नाराज,आँखें भी अदू होती रही !
नीशीत जोशी
(खू =आदत,सबू =सबूत,अदू = दुश्मन)
कभी हम भी मनाते थे
1222-1222-1222-1222
मेरा बचता नहीं कुछ भी, मुहब्बत की कहानी में,
मुझे सब सोंप कर, सूरज उतर जाता है पानी में !
जलाकर राख कर दे गर, मेरे वो अक्स अब सारे,
मगर उनको रखूंगा बस, मेरे दिल की निशानी में !
नये किस्से अधूरे ही रहेंगे, अब यहाँ सुनलो,
भरा है दर्द इतना वो, मेरी यादें पुरानी में !
फिज़ा भी प्यार की दोस्तो, न पहले सी यहाँ है अब,
मजा तो तब मिला था, वो मुझे अपनी जवानी में !
हमारे प्यार के किस्से, कभी मशहूर थे फिर भी,
भुली दास्ताँ सुनाते है, तुझे अपनी जुबानी में !
कभी तुमने मनाया था कभी हम भी मनाते थे,
मुहब्बत आजमाते थे तभी दिलकश रवानी में !
निशीत जोशी
दिल भी बेचैन सा लगे हर पल
2122-1212-22
जब किसी से वो प्यार होता है,
प्यार फिर बेशुमार होता है !
तेरी आँखें कभी नही रोयी,
प्यार में आबशार होता है !
दिल दिया तब तो बेखबर थे हम,
दिल पे कब अख्तियार होता है !
दिल भी बेचैन सा लगे हर पल,
वस्ल को बेकरार होता है !
टूट जाए जो दिल, लिए ग़म को,
आदमी तार तार होता है !
नीशीत जोशी
(आबशार= waterfall)
वो आ के बज़्म में, अपनी ग़ज़ल सुनाने लगे !
1212-1122-1212-22/112
वो आ के बज़्म में, अपनी ग़ज़ल सुनाने लगे !
इसी बहाने, मुहब्बत मुझे जताने लगे !
मैं अपना दिल ही, मुहब्बत में जिन को दे बैठा ,
सितम तो देखए, दामन ही वो बचाने लगे !
यकीन कीजिए, सब पेड़ कट गया होगा ,
परिंदे परदे पे, जब घोंसले बनाने लगे !
चली भी आओ, ज़रा बाम पर मिरी खातिर ,
फलक का चाँद, न मुझ को कहीं सताने लगे !
तमाम राहों को, फूलों से भर दिया जिन की ,
हमारी राह में, कांटे वही बिछाने लगे !
नीशीत जोशी
રવિવાર, 23 ઑક્ટોબર, 2016
वस्ल का वादा नहीं हुआ
२२१ २१२१ १२२ १२१२
इतना शदीद ग़म का अँधेरा नहीं हुआ,
साथी बने बहुत पर तुमसा नहीं हुआ,
हमने बना लिया वो घरोंदा यहीं कहीं,
फिर भी सुकूँ मिले वो बसेरा नहीं हुआ,
एक तुम मिले हमें,वो खुशी भी रही सदा,
फिर दिल किसी मुहिब्ब का प्यासा नहीं हुआ,
बढते रहे कदम, पुरजोशी रही मेरी,
दिल में मगर सफर का सवेरा नहीं हुआ,
जज्बात जब्त में रखकर हम रुके रहे,
वो हिज्र में भी वस्ल का वादा नहीं हुआ !
नीशीत जोशी 21.10.16
समझूँगा
2122 2122 2122 222
तू अदावत कर, उसे मैं तो मुहब्बत समझूँगा,
झूठ भी गर बोलदो, मैं तो सदाकत समझूँगा !
याद में जीना मेरा, दुस्वार ऐसा है की अब,
मौत को भी आज, तौफा ए इबादत समझूँगा !
झख्म देना ही, तेरी फितरत अगर है, तो तू दे,
मैं उसे बाकायदा, अपनी अमानत समझूँगा !
दिल दिया था, भूल तो की थी नहीं कोई मैंने,
हो गये तुम गैर के, अपनी फलाकत समझूँगा !
आजमाना छोडदो अब, हमसफर बन जाओ तुम,
बेवफा हो भी गये गर तो, अलालत समझूँगा !
निशीथ जोशी
(अदावत-hatred,सदाकत-truth,फलाकत-misfortune,अलालत-sickness) 18.10.16
आँखो से पिलाना आ गया
झूठ को जब आजमाना आ गया,
मेरी ठोकर पे जमाना आ गया,
तीरगी से अब कौन डरता है यहाँ,
चाँद को जब से बुलाना आ गया,
इश्क को हमने कभी समझा नहीं,
बस हमें उसको निभाना आ गया,
आइने के सामने होकर खडे,
जिस्म को झूठा सजाना आ गया,
रूह जिन्दा है मेरी मर कर यहाँ,
कब्र से जज्बा जताना आ गया,
खेलना आता नहीं फिर भी मुझे,
हार कर बाजी जिताना आ गया,
खोल कर आँखे निहारा ख्वाब भी,
जब वो ख्वाबो को सजाना आ गया,
'नीर' कुछ है महफिलो का भी सुरूर,
और आँखो से पिलाना आ गया !
निशीथ जोशी 'नीर' 15.10.16
हिज्र के ग़म को बढ़ा कर वो गए
२१२२ २१२२ २१२
वो कभी तन्हा सफर में खो गए,
तब तसव्वुर में असीरी हो गए,
इल्तजा थी जो कभी पूरी हुई,
प्यार का जज्बा जताने को गए,
वस्ल की उम्मीद उसने छोड़ दी,
हिज्र के ग़म को बढ़ा कर वो गए,
शाम तन्हा रात भी खामोश थी,
ख्वाब ने ओढा फलक फिर सो गए,
मुद्दतो से वो रहे खामोश पर,
गुफ्तगू को बेबहा बल हो गए !
नीशीत जोशी (असीरी =कैद, बेबहा =बहुमूल्य) 12.10.16
जब रहा इश्क़ सिर्फ बातों का,
झख्म हमने सहे बराबर से !
वो हज़ारो हसरतों के सामने लाचार था !
2122-2122-2122-212
जिंदगी में एक कदम चलना भी दुश्वार था,
वो हज़ारो हसरतों के सामने लाचार था !
दिल लगाना भी अदा होती है शायद फन नहीं,
प्यार में ये दिल मेरा ऐसे मगर बेज़ार था !
प्यार से तुम थाम लेना आज बाँहों में मुझे,
क्योंकि वो लम्हा तुम्हारे ही बिना बेकार था !
तब मेरी हर रात एक एक दर्द करती थी बयाँ,
झख्म भी जैसे मेरे दिल का नया अन्सार था,
इश्क में कब तक करे हम इंतजारी अब कहो,
वो ना कहना प्यार में भी तो तेरा इज्हार था !
प्यार के हर एक नुमाइन्दें भी अपने घर चले,
इश्क से परहेज़ था तुमको कि फिर इन्कार था !
वो खिलाडी तो नही कोई तुम्हारी ही तरह,
हारना उस खेल में तो 'नीर' का शेआर था !
निशीथ जोशी 'नीर'
(बेज़ार-नाखुश, अन्सार-friend, शेआर-habit)
હાથ ખાલી હતા સિકંદરના
अँधेरी जिंदगी में देर तक अच्छा नहीं होता !
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
पराया हो गया है, वो कभी अपना नहीं होता,
हमे उन पे इरादत है, कभी दावा नहीं होता ! faith
हमारी इल्तिजा भी क्या, अधूरी ही रहेगी अब,
किसी भी आशिको के दरमियाँ, ऐसा नहीं होता !
मुहब्बत जब हुई थी तब, किये थे कॉल उसने भी,
मगर वादा निभाते वक़्त, वो जज़्बा नहीं होता !
सफर कांटो भरा हो और रास्ता फिर लगे लंबा,
मगर हर एक डगर में लोग, हमसाया नहीं होता !
अदावत क्यों करें अब हम चिरागो से अँधेरो में,
अँधेरी जिंदगी में देर तक अच्छा नहीं होता !
नीशीत जोशी 24.09.16
બુધવાર, 21 સપ્ટેમ્બર, 2016
फुरकत से भी हम तो, ऐसे फुरसत में है
फुरकत से भी हम तो, ऐसे फुरसत में है,
शहर-ए-खामोशा में, ऐश-ओ-इशरत में है !
जब से देखा है मुझको, ख्वाबों में तुमने,
हर रातें तब से मेरी, कुछ हरकत में है !
यादों में कब तक तुम,संभालोगे मुझको,
कब तुम बोलोगे, ये सांसे बरकत में है !
हदया-ए-गुलदस्ता कर तू मैयत पे मेरी,
क्या ये हसरत भी मेरी अब जुलमत में है !
दिल के सब झख्मो को, तुम कर दो झख्मी अब,
दरमाँ उसका, चारागर के हिकमत में है !
नीशीत जोशी 20.09.15
(फुरकत=जुदाई,शहर-ए-खामोशा=श्मशान,ऐश-ओ-इशरत=luxury,हदया =offering,
जुलमत=अंधेरा,दरमाँ=इलाज, चारागर= doctor,हिकमत= जानकारी)
भीगते है साथ हम उसका निभाने के लिए
2122 2122 2122 212
इंतजाम कुछ दर्द का हमसे कराने के लिए,
जिंदगी में आ गया वो ये बताने के लिए,
झख्म दे कर कह रहे है कुछ नहीं उसने किया,
घाव हमने तब खुरेचे खूँ दिखाने के लिए,
शाम होते वस्ल की यादें करे हैराँ मुझे,
और शब भर ख्वाब आते हैं सताने के लिए,
आसमाँ भी रो रहा है आज तुम भी देख लो,
भीगते है साथ हम उसका निभाने के लिए,
ख्वाहिशों ने फिर बढा दी बेकरारी कुछ यहाँ,
भागती होगी वहाँ दिल की राह पाने के लिए !
नीशीत जोशी
कुछ लोग
મંગળવાર, 13 સપ્ટેમ્બર, 2016
न जाना तेरा प्यार, पाने से पहले
नहीं ख्वाब आते, बुलाने से पहले,
वो रातें सताए, सुलाने से पहले,
न तुम आजमाओ, मुझे उस सफर में,
कि आसाँ कदम हो, बढाने से पहले,
नहीं रात आती, तराना सुनाने,
न तडपा मुझे तू, सुनाने से पहले,
रखी याद दिल में, उसी में छुपे हो,
अंदर दिल ये रोए, रुलाने से पहले,
बहाना बनाया, मुझे डर दिखाया,
बहुत खौफ खाया, जमाने से पहले,
किसे दर्द की हम, सुनाए कहानी,
सितम सह लिया, झख्म खाने से पहले,
अदाकत नहीं थी, सदाकत रही तब,
न जाना तेरा प्यार, पाने से पहले,
मुहब्बत हुई 'नीर',क्या क्या बचाए,
बसा लो जिगर, लूट जाने से पहले !
नीशीत जोशी 'नीर'
नहीं होगी कमी
1222-1222-1222-1222
नहीं होगी कमी उस दर्द में, दास्ताँ सुनाने से,
इलाज-ए-ग़म नही होता कभी आँसू बहाने से,
दिखा कर प्यार धोखा दे गया है हमसफर कोई,
मगर दिल याद करता है, उसी का जिक्र आने से,
न कोई जुस्तजू अब है न कोई ख्वाहिशें बाकी,
मगर आते नहीं है बाज, मुझको वह सताने से,
निभा तो ले कभी दोस्ती, अदावत भूल करके,
मिलेगा प्यार बेहद, दोस्त मुझको तो बनाने से,
मुकम्मल प्यार होता ही नहीं पढकर किताबों को,
मिलेगी ये मुहब्बत सिर्फ जज्बाते जताने से !
निशीथ जोशी
आँख भर आई
१२१२ ११२२ १२१२ २२
ग़मों ने शोर मचाया तो आँख भर आई,
अजाब दिल तक आया तो आँख भर आई,
मुहाल है अब जीना मेरा बगैर उसके,
उसे ये दर्द सुनाया तो आँख भर आई,
सज़ा सुना कर ऐसा किया मुझे तन्हा,
उसे दिया जो वकाया तो आँख भर आई,
अदीब गर हो लिखो प्यार की गझल कोई,
ये इल्म जो समझाया तो आँख भर आई,
किसे किसे दिखलाता मेरे वो झख्मो को,
उसे ज़रा सा दिखाया तो आँख भर आई !
नीशीत जोशी
(अजाब=trouble, वकाया= news of accident) 31.08.16
રવિવાર, 28 ઑગસ્ટ, 2016
अंधेरो को मिटा कर देखते है
1222 1222 122
अंधेरो को मिटा कर देखते है,
चरागो को जला कर देखते है,
मुकम्मल हो सफर कोई तो अब भी,
कदम अपने बढा कर देखते है,
मुहब्बत में संभलते होंगे ही वो,
उसीको आजमा कर देखते है,
गिरे को भी उठाना फर्ज़ है तो,
किसीको अब उठा कर देखते है,
किताबों की जरूरत है किसे अब,
चलो दिल को पढा कर देखतें है,
बुतो को जब खुदा माना यहाँ तो,
खुदा तुम को बना कर देखते है,
चलो अब 'नीर' रूठे को मना कर,
दिलों से दिल मिला कर देखते है !
नीशीत जोशी 'नीर' 27.08.16
સૌ મિત્રો ને જન્માષ્ટમીની હાર્દિક શુભેચ્છા....
સૌ મિત્રો ને જન્માષ્ટમીની હાર્દિક શુભેચ્છા....
જય શ્રી કૃષ્ણ....
વરસો આજ વરસાદ બની,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
ખાવ ખવડાવો મિસરી હજી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
રમો રાસ આનંદવિભોર થઇ,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
સર્વસ્વ ગોકુળમથુરા સમજી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
મનડાને વનરાવન બનવી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
તરબોળ થઇ પ્રેમ સૌને વહેંચી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
લાલાનો કરો જય ઘોષ વળી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી.
નીશીત જોશી
દિવસ આવશે જરૂર
લાગલાલા લાગલાલા ગલાગલા
રાત જાશે ને, દિવસ આવશે જરૂર,
દુ:ખ લૈ ને, સુખ પછી લાવશે જરૂર,
કોણ કોના મારફત, સોપાન બાંધશે,
સાથ એ ભગવાન પણ, આપશે જરૂર,
કેમ લાગે રાત, અંધારપટ હવે,
દીપ કોઈ પ્રગટાવી, જશે જરૂર,
લાગશે હેરાન થૈ જાશું, એમ તો,
આવશે એ, સારું ત્યાં લાગશે જરૂર,
જોજનો છો’ દૂર લાગે, પરંતુ છે,
રાખજો વિશ્વાસ, એ આવશે જરૂર.
નિશીથ જોશી 23.08.16
यहां हैं औरतेँ हयबत
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
खबर नासाद, मुद्दत से कहाँ कोई बिशारत है,
यहां हैं औरतेँ हयबत, कहाँ कोई हिफाजत है,
न कोई वास्ता अब है, मुहब्बत से किसी को भी,
दिलो में सिर्फ है नफरत, रखी मुंह में शिकायत है,
मुहाली इस कदर छाई, कि मुश्किल हो गया जीना,
है महँगाई भी जोरों पे, क़यामत की ये दावत है,
कहीं डाका पड़ा है तो, कहीं इज़्ज़त हुई रुसवा,
कि अब अखबार भी तो, बस पढ़ाता ये हिकायत है,
अगर है आसमाँ को, कुछ घमण्ड अपनी अना पे तो,
हमें भी आसमानों को, जमीं करने की आदत है !
नीशीत जोशी
(बिशारत=good news, हयबत=panic, हिकायत=story, अना=ego)
घमण्ड अपनी (घमण्डपनी) 21.08.16
तुझे ही जमाने में, अपना देखा
122 122 122 22
तुझे ही जमाने में, अपना देखा,
तेरा सिर्फ अपनो में, सपना देखा,
तेरे ही करिश्मे, अभी बरकरार है,
समंदर में सँगो का, बहना देखा,
कई हो गये, जन्म से ही अनाथ,
बिना माँ के, बच्चो का पलना देखा,
हवा गर चले, आ भी जाए तूफाँ,
चिरागो का ऐसे में, जलना देखा,
वो जीना, वो मरना, सभी तू जाने,
तेरे नाम में ही, वो बसना देखा !
नीशीत जोशी 18.08.16
રવિવાર, 14 ઑગસ્ટ, 2016
कहाँ कहाँ
221 2121 1221 212
उनकी पुकार को लिए, निकला कहाँ कहाँ,
कहने खुदा उसे फिर, अटका कहाँ कहाँ,
यादें रही तेरी, वह दिल में उतार दी,
मैं तेरी आरजू लिए, भटका कहाँ कहाँ,
कम तो नहीं हुई, बहते अश्क की सजा,
मैं रोकने उसे, फिर छुपता कहाँ कहाँ,
जीने नहीं दिया, मरने भी नहीं दिया,
ले कर वो झख्म मैं, अब फिरता कहाँ कहाँ,
फुर्कत कभी तो, वस्ल कभी है मेरी यहाँ,
ये हादसे के दर्द को, भरता कहाँ कहाँ !
नीशीत जोशी 13.08.16
दिल की बस्ती अजीब बस्ती है
રવિવાર, 7 ઑગસ્ટ, 2016
ये जरूरी तो नही है
1222 1222 1222 122
तेरे दिल को चुरा लूँ, ये जरूरी तो नहीं है,
ज़िया कोई बुझा दूँ, ये जरूरी तो नहीं है,
कहेंगे लोग मुझको, फिर करेंगे मज़म्मत,
उन्हे भी कुछ सुनाऊँ, ये जरूरी तो नहीं है,
बढाकर फासला अपना बनाया है तुम्हीने,
तुम्हे अपना बुलाऊँ, ये जरूरी तो नही है,
बचा लेना मुझे तुम, गर गिरे भी हम कहीं पे,
पराये को पुकारूँ, ये जरूरी तो नही है,
मेरे हो तुम, मेरे ही सामने रहना सदा तुम,
मुहब्बत दोहरादूँ, ये जरूरी तो नही है !
नीशीत जोशी
(ज़िया=light,मज़म्मत=blaim) 03.08.16
મનાવું છું તને, પણ વાર લાગે છે
લગાગાગા લગાગાગા લગાગાગા
મનાવું છું તને, પણ વાર લાગે છે,
ન માને તું અગર, તો હાર લાગે છે,
મહોબતના તને, પરમાણ શું આપું ?
હવે શૈયાય જાણે, ખાર લાગે છે,
અરે, આ મૌનની ભાષા, નિરાલી હોં!
વગર બોલ્યે નજર, ધારધાર લાગે છે,
હૃદયમાં, પ્રેમની મીઠાસ જો રાખો,
મીઠો સંસારનો, કંસાર લાગે છે,
દિલાસા આપનારાં, લાખ મળશે,
ખરેખર કાપતી, તલવાર લાગે છે,
પ્રથા છે એમની, તોડી કસમ ચાલ્યાં,
અહમ પણ એમનો, હદ પાર લાગે છે,
ધરો ઇલ્ઝામ અમને, બેવફાઈનો,
તમારી ખીજનો, અણસાર લાગે છે,
થઈ છે હાશ દિલમાં, એ ગયા માની,
ઉનાળા છે છતાં, પણ ઠાર લાગે છે .
નીશીત જોશી 31.07.16
हर मुज़ामत को हम पार कर लेंगे
२१२२ १२१२ २२
हर मुज़ामत को हम पार कर लेंगे,
हर वो इल्जाम खुदी के सर लेंगे,
बह न जाए वो अश्क़ आँखों से,
अश्क़ से हम बहर वो भर लेंगे,
हम फ़क़ीरों के पास अब है क्या,
है वो इक जाँ कहो तो मर लेंगे,
कर तआक़ुब मेरे लिखे खत का,
रब्त हम कासिदों से कर लेंगे,
बुग़्ज़ से याद तुम तो कर लेना,
ज़ख्म हम सीने पर ही धर लेंगे !
नीशीत जोशी
(मुज़ामत=obstruction,बहर=sea,तआक़ुब=follow up,बुग़्ज़=hatred) 27.07.16
तुम्हारा इम्तिहान भी है क्या?
२१२२ २१२२ २१२२ २२
ये मेरा है तो, तुम्हारा इम्तिहान भी है क्या?
वो हमारे दरमियाँ, ये आसमान भी है क्या?
इस शहर में तो, नयी आई लग रही हो तुम,
इस गली में ही, तुम्हारा मकान भी है क्या?
क्यों मुलाक़ात नाम से, तुम डर गयी हो,बोलो,
मुँह में कोई नहीं, उज़्मा जुबान भी है क्या?
प्यार में मुज़्तर बना करके, रखेंगे दिल में,
हाफ़िज़ा में तो रखे, वो खानदान भी है क्या?
दादखा बनके तुम्हे, की इस्तिदा भी मैंने,
हाथ में कोई तेरे दिलकश बयान भी है क्या?
नीशीत जोशी 24.07.16
(उज़्मा= best, मुज़्तर= a lover, हाफ़िज़ा= good memory, दादखा=petitioner, इस्तिदा=petition) 24.07.16
શનિવાર, 23 જુલાઈ, 2016
न कोई आरजू है अब,न कोई जुस्तजू है अब
न कोई आरजू है अब,न कोई जुस्तजू है अब,
तेरी हरएक अदा जैसे नजर की साद खू है अब,
न कोई हादसा होगा,न कोई रूसवा होगा,
तेरा दीदार ही तो इस शहर का सब वकू है अब,
यहां तो इश्क़ के फरजंगी नदारद हो गए है सब,
न कोई अब सुनेगा भी, न कोई गुफ्तगू है अब,
मेरे दिल का यहां बेहाल हुआ जाता दिखा है,पर,
न आँखों से मेरी बहती, वो कोई आबजू है अब,
अंधेरो से मुझे अब डर नहीं कोई मेरे घर में,
चिरागो का वहाँ होना भी उसीका अदू है अब !
नीशीत जोशी
(खू=habit,वकू=happening,
फरजंगी=wisdom,आबजू=rivulet,
अदू=enemy) 21.07.16
वो तन्हाई के आलम में
1222 1222 1222 1222
मिले ग़म रात के आते, वो तन्हाई के आलम में,
अकेले रह नहीं पाते, वो तन्हाई के आलम में
निदा कर के बुला लेना मुझे तुम जब भी जी चाहे,
न ताखीर हो मेरी आते, वो तन्हाई के आलम में,
मेरे दिल को सुकूँ होता, मुझे लगती नहीं दूरी,
तुम्हे ही हम अगर पाते, वो तन्हाई के आलम में,
सफर मुमकीन नहीं है यूँ, अकेले अब मेरा ऐसा,
मेरे तुम दोस्त बन जाते, वो तन्हाई के आलम में,
वो ग़म ने फिर पहुँचाया है,मुझको आसमाँ तक अब,
मुझे फिर ग़म कहाँ लाते, वो तन्हाई के आलम में !
नीशीत जोशी
(निदा=sound, ताखीर=delay) 18.07.16
हमें दिल लगाने कि फुर्सत कहाँ है
१२२ १२२ १२२ १२२
कहाँ है कहाँ है फसाहत कहाँ है,
कभी नाम था अब वो ग़ीबत कहाँ है,
तुम्हारी हमारी मुहब्बत कहाँ है,
हमें तू बता वो अलामत कहाँ है,
गुजारी जो हमने तुम्ही अब बतादो,
वो अब दरमियाँ सब अक़ीदत कहाँ है,
नहीं है फ़राग़त तुम्हे क्या करे हम,
हमें दिल लगाने कि फुर्सत कहाँ है,
कभी दे दिया था तुम्हे 'नीर' तौफा,
हमें अब बता वो अमानत कहाँ है !
नीशीत जोशी 'नीर' 14.07.16
(फसाहत= purity of language, ग़ीबत= slander, अलामत= sign, अक़ीदत= faith, belief, फराग़त=leisure)
जहाँ भी आब हो मुझको सराब लगता है
1212 1122 1212 22
तेरा जमाल भी अब आफताब लगता है,
ये हुस्न तेरा जहाँ का खिताब लगता है,
न जाने क्या हुआ उस को के बीच शहनाई,
बुझा बुझा हुआ सहमा शिहाब लगता है,
न दे जवाब मुझे ,रहने दे सवाल मेरा,
तेरा जवाब मुझे एक अज़ाब लगता है,
कभी तो दोस्त कहा मुझको तो कभी दुश्मन,
तेरा ये बात बदलना खराब लगता है,
फरेब इतना मिला 'नीर' के अब क्या मैं कहूँ,
जहाँ भी आब हो मुझको सराब लगता है !
नीशीत जोशी 'नीर' 11.07.16
शिहाब=a bright shining star,
अजाब=punishment,सराब=mirage
आँखें मगर आंसू मेरे, बहने नहीं देती कहीं
2212 2212 2212 2212
जीने नहीं देती मुझे, मरने नहीं देती कहीं,
यादें तेरी अब तो मुझे, बसने नहीं देती कहीं,
गूंगे रहे अल्फाज, खोले भी नहीं हमने कभी,
खामोश हूँ तो, इश्क वो करने नहीं देती कहीं,
उम्मीद को भी छोड कर, जाने लगे है हम कहाँ,
मौजूदगी अब तो तेरी, चलने नहीं देती कहीं,
रोने मुझे दे तो, बहा दूँ मैं समंदर आँख से,
आँखें मगर आंसू मेरे, बहने नहीं देती कहीं,
हम हौसले से ही बना लेंगे नसीबा भी यहाँ,
अब तो फकीरी भी मेरी डरने नहीं देती मुझे !
नीशीत जोशी 07.07.16
हम मुहब्बत में कहाँ तक आ गए
जख्म सारे अब जुबाँ तक आ गए,
हम मुहब्बत में कहाँ तक आ गए,
ख्वाहिशें तो गुफ्तगू की थी उसे,
ले उसे दिल के मकाँ तक आ गए,
लामुहाला आग दिल में है लगी,
हम बुझाने को यहाँ तक आ गए,
हादसों के उस शहर में खो गए,
तीर ही के हम निशाँ तक आ गए,
बेवफा ने तो दिया धोखा मगर,
कुफ्र भूले हम ईमाँ तक आ गए !
नीशीत जोशी
(लामुहाला=surely,कुफ्र=disbelief, ईमाँ=faith) 04.07.16
जिंदगी से अब तेरी, कोई निभायेगा नहीं
2122 2122 2122 212
जिंदगी से अब तेरी, कोई निभायेगा नहीं,
बाद मेरे कोई भी, तुझको सतायेगा नहीं,
ग़र बहाओ, चोट खा कर, खून बेपायाँ, यहाँ,
ठीक करने ज़ख़्म, चारागर बुलायेगा नहीं,
अक्स दीवारों पे उभरे हैं, बुरे हालात में,
ठीक वो करने, मुसव्विर को बतायेगा नहीं,
हो परेशाँ तुम, सताने यूँ लगेगी याद भी,
ख्वाब आ कर भी तुम्हें, शब भर सुलायेगा नहीं,
छोड दी मैंने कहानी, प्यार के उस मोड पर,
दौड़ लो, यूँ प्यार कोई भी, जतायेगा नहीं !
नीशीत जोशी
(बेपायाँ= limiless,चारागर= doctor,मुसव्विर = painter)
શનિવાર, 25 જૂન, 2016
सभी दोष उसकी जवानी में था !
122 122 122 12
कभी फूल अपनी रवानी में था,
चमन जब मेरी बागबानी में था !
परिंदें कफस तोड कर उड गये,
भरोसा उन्हें जाँफिशानी में था !
कहा था मगर वो सुने तो सही,
मेरा वाकिया भी कहानी में था !
करेंगे मुहब्बत कहा था कभी,
मेरा दिल उसी की निशानी में था !
असर भी हुआ था उसे प्यार का,
सभी दोष उसकी जवानी में था !
नीशीत जोशी
(जाँफिशानी = extreme effort)
કાઢશો શીશા એ દિલનો, વારો હવે ?
કેમ કહવો, ઝખ્મને સારો હવે,
બે કદમ તું આપ, સથવારો હવે,
વીજ ઝબકે, તો સારા શુકન છે,
જામશે સાચે જ, વરસારો હવે,
જે અબુધ થઈને જ, હંકારે હોડી,
તેમની ડુબાડે નાવ, કિનારો હવે,
એમ લાગ્યું હજુ, ક્યાં ભૂલ્યા છે ?
એકધારું પ્રેમથી, પુકારો હવે,
જેમ તોડયો કાંચ, એવું થાય નહિ, કે,
કાઢશો શીશા એ દિલનો, વારો હવે ?
નીશીત જોશી
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ્સ (Atom)