બુધવાર, 23 ડિસેમ્બર, 2015
दूरीयाँ बना के रक्खो
हो न जाओ कहीं तुम बदनाम, दूरीयाँ बनाके रक्खो,
लब पे न आए इश्क़ का नाम, दूरीयाँ बनाके रक्खो,
हाथ में किसीके पत्थर तो किसीके हाथ खंजर है,
दिल कर ही लेगा अपना काम, दूरीयाँ बनाके रक्खो,
मुन्तजिर आशिक को मौका ना दे शिकायत का,
पीला न दे कहीं आँखो से जाम, दूरीयाँ बनाके रक्खो,
वोह खादिम है और तू शहज़ादी इस शहर की,
तुझ पे कहीं न आये इल्जाम, दूरीयाँ बनाके रक्खो,
जीने कब दिया है तुर्बत में मुहब्बत के मारो को,
मुक्कमल कर लेना अंजाम, दूरीयाँ बना के रक्खो,
'नीर' को तो आदत हो गयी आबे दीद पीने की,
समझो दिल का ये पैगाम, दूरीयाँ बना के रक्खो !
नीशीत जोशी 'नीर'
મંગળવાર, 15 ડિસેમ્બર, 2015
માધવ કદી સમજાય છે ખરો?
મૌન કેરો સાદ, જો અથડાય છે ખરો?
કાનમાં તારા, પ્રણય પડઘાય છે ખરો?
લો, હવેથી ચાંદ કહેશું, આપને અમે,
એય અદ્દલ, આપ શો દેખાય છે ખરો,
હા, બને કે, ખ્વાબમાં ચુંબન કર્યું હશે,
ને પછી, દિલબર જરા શરમાય છે ખરો,
ગોપીકા વચ્ચે, રમે છે રાસ કાનજી,
તે છતાં, માધવ કદી સમજાય છે ખરો?
એક ઈંતેઝારી, ભલે યમુના તટે રહી,
વાંસળીનો સૂર, ત્યાં રેલાય છે ખરો.
નીશીત જોશી
कभी ऐसा भी तो हो.....
कभी ऐसा भी तो हो.....
तुम्हारी सुबह मुझसे हो
तुम्हारी बाँहों में हम हो
तुम जगाओ गोसा दे के
मेरा लम्हा खुशनुमा हो
कभी ऐसा भी हो....
तुम पुकारो मुझे,
पास आ जाउँ मैं
गुफ्तगू करें सारी,
मुकम्मल प्यार हो
कभी ऐसा भी हो.....
जो पकडु दूपट्टे का कोना मैं,
छुडाने की कोशिश करो तुम,
लाल कमल सी खिल जाओ,
वो चेहरा तुम्हारा शर्मशार हो
कुछ ऐसा भी हो.....
तुम मेरी धडकनो में समाओ,
तेरी मैं हर धडकन बन जाउँ,
जिंदगी जीएँ कुछ इस तरह,
अपनी हसद जमाने को हो
कुछ ऐसा भी तो हो .......
नीशीत जोशी 11.12.15
કારણ મને ગમે છે
કારણ નહીં જ આપું, કારણ મને ગમે છે,
કાતિલ રહ્યો એ, દિલ એની તરફ ઝુકે છે,
કોણે કહ્યું કે, સાથ એનો ગમતો નથી મને,
સાંજ પડતાજ, ક્ષિતિજે સૂરજ પણ નમે છે,
નાની આયુ પણ, સુગંધ જાળવી રાખે ફૂલ,
મોસમની માર, એક સરખી સૌ પર પડે છે,
તરવા જાઓ, તો દરિયો પડે નાનો, સૌને,
પ્રેમ સાગરમાં, દિલ બધાનું તરતું જડે છે,
દુનિયા છોને,મારા હુનરને વખાણે, પણ,
માખણ વલોવો, પછી દૂધ પાછુ ભળે છે?
નીશીત જોશી 09.12.15
आया कैसे
मदारी न था कोई फिर वो बंदर आया कैसे,
झमूरा बनाने का वो खयाल अंदर आया कैसे,
कोई गिला नही है न कोई शिकवा तुमसे,
बस इतना बता दे ऐसा मंजर आया कैसे,
मालूम था तुम्हे,मैने भी होंश में उठाए थे कदम,
सेज थी फूलो की, काँटा अंदर आया कैसे
पाबंधी मुझे तो है वहाँ तुझे भी अब लगती है,
कश्ती थी मझधार साहिल पे लंगर आया कैसे,
वादा करके फिर मजबूरीयां जताना तेरा,
हमारे दरमीयाँ तेरे मेरे का अंतर आया कैसे,
इश्क़ को हमारे कोई नजर लग गयी है शायद,
जागे थे रातो "नीर" सो जाने का मंतर आया कैसे !
नीशीत जोशी "नीर" 07.12.15
મારે તમારા પ્રેમમાં પડવું છે
મારે તમારા પ્રેમમાં પડવું છે,
ને એટલે તો રૂબરૂ મળવું છે,
વાતો ઘણી થઇ બેસીને કિનારે,
તમારા પ્રેમના પ્રવાહે તરવું છે,
આકાશ જાણે સાદ દેતો લાગ્યો ,
જો સાથ આપો આભમાં ઉડવું છે,
જો બાગના ફૂલોય કરમાઈ ગ્યા,
હોઠે તમારા સ્મિત થઈ ખીલવું છે,
સંભારણાનો સાથ લઈ જીવાય પણ,
દિલ આપનું થ્યું આપને ધરવું છે.
નીશીત જોશી 4.12.15
बनी होगी जब वो ग़ज़ल
बनी होगी जब वो ग़ज़ल, शायर का दिल खोया होगा,
मुखातिब का लब-ओ-लहजा सुन, हर दिल रोया होगा,
उठी होगी दिल की गहराई में, बोह्तात कश्मकश कोई,
जगा दिया होगा उसे भी, जब उसका दिल सोया होगा,
किसी फ़सुर्दगी के बोझ तले, दब गया होगा दिल उसका,
खुद का कन्धा दे के, खुद का ही तन्हा दिल ढोया होगा,
मुहब्बत के दरख़्त को, फलक चूमने को कभी तो उसने,
अपने प्यार का नुत्फा, उसके बेदर्द दिल में बोया होगा,
अच्छे तख़य्युल की जरुरत होती है, नायब सुखन को,
यही सोच के सुख़नवर, इश्क़ के सहरा में खोया होगा !!
नीशीत जोशी
(मुखातिब= speaker, लब-ओ-लहजा= style of speaking, बोह्तात= excess, फ़सुर्दगी= sadness, दरख़्त= tree, नुत्फा= seed, तख़य्युल= thought) 01.12.15
રવિવાર, 29 નવેમ્બર, 2015
અદભુત છે આ પ્રણયની વાતો
कभी हमें अपना बना लिया करो
कभी हमें अपना बना लिया करो,
कभी सुनो कभी सुना दिया करो,
न हो कभी सिकवा न गीला कभी,
गुरूर को दिलमें दफन किया करो,
करें तिरी नम आँख दर्द कभी बयाँ,
जुबाँ रखो खामोश,जहर पिया करो,
खुदा मिले मुहिब्ब बनके तुझे कभी,
अता करो सजदा,यक़ीं किया करो,
न जिगर हो,अरमान से तन्हा कभी,
फटे हुए जज्बात को सी लिया करो !
नीशीत जोशी 26.11.15
आओ मिलके जश्न मनाते है
आयी जो उनकी याद तो
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आयी जो उनकी याद तो आती चली गई,
जज्बात मेरे दिल को जताती चली गई,
गाऐ थे उनके नाम के नग्मे कई दफा,
सोयी वो महफिल को जगाती चली गई,
अश्कों के बहने का न पूछो सबब मुझे,
आँखें वो दरिया को बहाती चली गई,
आने की हमने आश जो बांधी हुई थी,
वो रातें भी इंतजार कराती चली गई,
गर्दीश में था चाँद और सितारें छुपे हुए,
आके वो मुझको दीया दिखाती चली गई !
नीशीत जोशी
मुझे तुम प्यार बेशुमार करते हो
कभी इकरार करते हो, कभी इन्कार करते हो,
मगर यकीं है तुम, मुझसे ही प्यार करते हो,
कभी आँखों में आसु, कभी रुख पे तबस्सुम है ,
अपनी हर अदाओं से, मेरा जीना दुस्वार करते हो,
कभी ख़ामोशी ओढ़े हो, कभी बेसबब बतियाना ,
खबर मुझको है, तुम हम पे जाँ निसार करते हो,
अदावत है या कहे वफ़ा, हम तो कायल है तेरे ,
नश्तर से नहीं, तुम तो नजरों से वार करते हो,
कभी रुठ के, फिर तेरा यूँ यकायक मान जाना,
जताता है की, मुझे तुम प्यार बेशुमार करते हो !!
नीशीत जोशी 16.11.15
वो समझे हम दिवाने है
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कर ली हमने जो हँस के बात, वो समझे हम दिवाने है,
कर ली हमने जो मुलाकात ,वो समझे हम दिवाने है,
दे दी हमने थोडी ज्यादा तव्वज़ो,यही गलती थी शायद,
भूलायी जो अपनी औकात, वो समझे हम दिवाने है,
सुना है दोस्त के दोस्त, अपने भी दोस्त होते है,
उन्ही से जित के खायी मात, वो समझे हम दिवाने है,
रह न पाये खामोश, जब बैठे थे मुहिब्ब साथ में,
काटी जो गुफ्तगू में रात, वो समझे हम दिवाने है,
सुनते रहे वह और हम सुनाते रहे, दिल की दास्ताँ,
उठे जाने कितने सवालात, वो समझे हम दिवाने है !
नीशीत जोशी 06.11.15
બુધવાર, 4 નવેમ્બર, 2015
કેમ છીએ અમે
જુઓ આવી જરા કે, કેમ છીએ અમે,
મુકીને એમ ગ્યા તા, તેમ છીએ અમે,
બનું બેફામ તો, સૌ માફ કરજો મને,
વહે છે એક સરિતા, એમ છીએ અમે,
સહારે યાદની, રાતો ગુજારીતો જુઓ,
બુઝેલા આ દિપકની, જેમ છીએ અમે,
રડીને ખુદ, હસાવી જાય એવો મિત્ર,
થવાનો ગર્વ સાચો, તેમ છીએ અમે,
કળી ક્યારે બને છે ફૂલ, ત્વરિત પણ,
ભ્રમર પુષ્પને કરતો, પ્રેમ છીએ અમે,
રમાડો જે રમત, ખુશી આપની હો,
મળે તમને ખુશી, ખુશ એમ છીએ અમે.
નીશીત જોશી 04.11.15
हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा
लिखा था जो खत तुम्हे, वो तुने पढा होगा,
खुन था स्याही के बदले,वो तुझे पता होगा,
नहीं हो हमारी किस्मत में तू, ये कहें कैसे,
जरूर किसी ज्योतिषी ने, ऐसा कहा होगा,
अंधेरो के नसीब भी होती है, जुगनू की रोशनी,
मेरे भी नसीब में, खुदा ने कुछ तो लिखा होगा,
हर कासीद को अब मालूम है, मेरा ठिकाना,
खत के जवाब का इंतजार, सबको रहा होगा,
मजबूरी का नाम देकर, तुमने रुखसत ली थी,
हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा !
नीशीत जोशी 03.11.15
सभी मेरे अपने थे
उम्रभर सतानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
कब्र में सुलानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
कत्ल करके इल्जाम किसी और पे लगाया,
कातिल को बचानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
तंज़ कसते थे साथ छूटने पे मेरे मुहिब्ब से,
उसे दुल्हन सज़ानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
साद की आश में दिल नासाद रहा मेरा हरदम,
बोझ उसका बढानेवाले भी सभी मेरे अपने थे,
फुर्सत न थी जिसे वो बैठे है पास मेरे जनाजे के,
दिखाके अश्क बहानेवाले भी सभी मेरे अपने थे !
नीशीत जोशी 31.10.15
इश्क की किताब दे
तू आब-ए-दीदा दे, या वैसी कोई शराब दे,
देना ही है मोहसिन मुझे, तो कोई अज़ाब दे,
बैठा देते हो महफ़िल में, खामखाँ अक्सर,
टूटे आईने को सवार ने, अब कोई शबाब दे,
आकर चार्रागार कोई, इलाज़ करे ज़ख्मो का,
नासूर, नाइलाज़ का, फैसला-ए-खिताब दे,
हालात है नाज़ुक, मेरे सवालात भी बहुत है,
जान-ए-जानम बने कोई, और मुझे जवाब दे,
बाकी है बहुत सीखना, मुहब्बत के आलम में,
ले जाके किसी मक्तबा में, इश्क की किताब दे !!
नीशीत जोशी
(आब-ए-दीदा=tears,अज़ाब=punishment,
मक्तबा=library)28.10.15
प्यार हो जायेगा
हसीन हो तुम प्यार हो जायेगा,
रफ्ता रफ्ता इज़हार हो जायेगा,
कहीं हमें तुम छोड के ना जाना,
तन्हाई में दिल बेकरार हो जायेगा,
कहानी को उस मोड़ तक लायेंगे,
जहाँ से लोटना दुस्वार हो जायेगा,
अभी महफूज़ है दिल का आइना,
जो टूटा तो दिल खार हो जायेगा,
मुश्कुराते हुए वस्ल का लूफ्त लेना,
हिज्र का लम्हा ख्वार हो जायेगा।
नीशीत जोशी 24.10.15
खार=पत्थर, ख्वार=गरीब
બુધવાર, 21 ઑક્ટોબર, 2015
क्यों दिल में परेशानी है
न जाने आज क्यों दिल में परेशानी है,
मिला है सब तिरी ही तो महेरबानी है ,
मिली होती नज़र गरचे महोब्बत होती,
जमाने को बताकर क्यों पशेमानी है,
फ़िदा होना तिरे ही प्यार में ओ जानम,
मिरे वास्ते सिर्फ तू ही तो जावेदानी है,
न कोई साथ है कोई न देनेवाला है,
यही सब से बड़ी बातों में गिराँजानी है,
परेशाँ अब नहीं होना मुझे आसानी से,
जिगर में हौसले की अब बड़ी फरवानी है !!
नीशीत जोशी
(पशेमानी= shame,जावेदानी= eternal,गिराँजानी= unhappiness,फरवानी= plentifulness, abundance) 15.10.15
नहीं होना, तन्हा मशहूर मुझ को
जहां से क्यों रखे हो, दूर मुझ को,
नहीं होना, तन्हा मशहूर मुझ को,
बयाँ कैसे करें, तेरा फ़साना,
जबाँ होती लगे, रंजूर मुझ को,
दिखाई दे गर तूफां, सामने भी,
खुदा पे है भरोषा, भरपूर मुझ को,
बचाले या मुझे मारे, खुदा जाने,
तिरा हर फैसला, मंजूर मुझ को,
तिरा ममनून हूँ, नेमत तिरा है,
न करना तू कभी मगरूर मुझ को !!
नीशीत जोशी
પડીને પ્રેમમાં
પડીને પ્રેમમાં આપણે આબાદ થઇ જઈએ,
નજરમાં દુનિયાની છો બરબાદ થઇ જાઈએ,
ન તૂટે એવા એકમેક સાથે કરાર તો કરીએ,
ઈતિહાસને પાને એવા અપવાદ થઇ જઈએ,
અહી ઈર્ષામાં ઘણુએ લોકોને કહેતા સાંભળ્યા,
છતાં લાગણીનો સાચો આસ્વાદ થઇ જઈએ,
હશે સચ્ચાઈ નો રણકો દાબી કોઈ શકશે નહિ,
મંદિરના પવિત્ર ઘંટનો ઉંચો નાદ થઇ જઈએ,
ન થાય કદી આંસુની ખારાશ ઓછી વહેવાથી,
છતાં સ્નેહસભર વાતોનો ઉન્માદ થઇ જઈએ,
ન ભૂલાય એવો પ્રેમ પરસ્પર પાંગરવા દ્યોને,
હૃદયમાં નામ ચીતરી મીઠી યાદ થઇ જઈએ,
ગજબ કુદરત કરે, થાય વિરહ પ્રેમમાં આપણો,
કરાવે મેળાપ એવી આપણે ફરિયાદ થઇ જઈએ.
નીશીત જોશી 13.10.15
क्यों दिल से लगा रक्खा है
रात की बात को क्यों दिल से लगा रक्खा है,
सो गया है चाँद मगर दिया जला रक्खा है,
जो करो आज हि कर के उसे पुरा करना,
आज की बात को क्यों कल पे उठा रक्खा है,
हाथ उठेगा दुआ के लिए असर हो जाएगा,
बूतखाना न जाने क्यों फिजूल बना रक्खा है,
आ सकते नही यह मजबूरी ही तो है शायद,
सामने खुद के क्यों मेरा अक्स सजा रक्खा है,
खोखली है मुहब्बत खोखला प्यार जताना,
खाँमखा मेरे दिल को तूने ग़म पिला रक्खा है !!
नीशीत जोशी 11.10.15
दर्द को लिखते लिखते
दर्द को लिखते लिखते उंगलीयां जल गयी,
रश्मो की रवायत में चिठ्ठीयां जल गयी,
गर्मी में पसीने बहे, बारिश ने भिगो डाला,
शर्द हवाओं के मौसम में शर्दीयां जल गयी,
बंध कमरे में बैठ के, खयालो में खोते रहे,
अकेली रात देख कर, तन्हाईयां जल गयी,
उज़डे दिलों का हाल, हो गया बेहाल ऐैसा,
देख के लपटें आग की, बस्तीयां जल गयी,
उठा था लावा अंदर, बाहर था तूफान बहुत,
उन बादलों के हालात से, बिजलीयां जल गयी !
नीशीत जोशी 08.10.15
આપેલા ઝખ્મો ગણી લઈએ
ચાલ ને મન સવાલોના જવાબ લઈ લઈએ,
વેડફાયેલી લાગણીઓના ખિસ્સાં ભરી લઈએ,
ખાતરી ન્હોતી તેઓ પીઠ પાછળથી વાર કરશે,
આદતથી લાચાર છે માની એમને સહી લઈએ,
એમની ખુશી માટે મોતને પણ આવકાર્યું હર્ષથી,
ડૂબકાં ખાઈને આખરે, દરિયો દુઃખનો તરી લઈએ,
એમના આવવાની આશા મનમાંથી ભુંસાઈ નથી,
હાલ આવી કહેશે ચાલ એજ જૂની રમત રમી લઈએ,
બસ થયું ભૈ-સાબ એક કોરે મુકો મહોબતની વાતો,
ક્યાંક બેસી એકબીજાને આપેલા ઝખ્મો ગણી લઈએ .
નીશીત જોશી 06.10.15
ऐसे तो बाहों में थी मेरी
कहने को तुम मेरे प्यार को सजाये हुए हो,
मुझ से रूठ कर मेरे दिल को जलाये हुए हो,
तुम भी किसी रोज ऐसे तो बाहों में थी मेरी,
फिर आज क्यों इतनी दूरी बनाये हुए हो?
गुमशुदा हो गया हूँ तेरी याद में ओ दिलबर,
तुम आज क्यों तसव्वुर में घबराये हुए हो ?
मयखाने आते है सब अपना ग़म भूलने को,
मगर मेरा हाल है मुझे तुम ही भुलाये हुए हो,
क्या था मैं और क्या हो गया इस मुहब्बत में,
कहने लगे है लोग तुम किसी के सताये हुए हो !!
नीशीत जोशी 04.10.15
શુક્રવાર, 2 ઑક્ટોબર, 2015
कहने को बहुत है मगर
कहने को बहुत है मगर कुछ कह नहीं सकते,
सहने को सह लिए बहुत अब सह नहीं सकते,
मिल जाओ तुम अब सुनी वो सड़क पे कहीं,
हम तेरे इन्तजार में अब रह नहीं सकते,
रोया क्यों करें रात भर हम याद में तेरी,
हम आँखों के सैलाब में अब बह नहीं सकते,
जलने दो बस्तियां, धुंआ उठने कि देर है,
दिल में राख लेकर अभी हम रह नहीं सकते,
अपना वो फ़साना हमे भाता नहीं अब तो,
दिल का वो तड़पना मगर हम कह नहीं सकते !!
नीशीत जोशी 01.10.15
ग़ज़ल का कोना लिखना
लिखो मुझ पे सुखन तो मेरा रोना लिखना,
देखके अक्स तेरे खयालो में खोना लिखना,
कफ़न ओढ़ कर हम हो गए है दफ़न जहां,
तेरी ही याद के पीछे वहीँ मेरा सोना लिखना,
ज़ब्त में रखते है अक्सर जज्बात दिल के,
ज़ख्म सहती इस जिंदगी का ढोना लिखना,
समंदर में तुण्ड लहरें उछलती है जिस तरह,
उसी तरह जिंदगी के हालात का होना लिखना,
कर के जिक्र मेरी मोहब्बत का किसी शे'र में,
मेरे ही नाम का उस ग़ज़ल का कोना लिखना !!
नीशीत जोशी 28.09.15
याद आएगी
पहले शे'र में, पहली लाइन (मिस्रा-ए-ऊला) जाने माने गज़लकार
जनाब बशर नवाज़ जी की कही हुई है !
करोगे याद तो हर बात याद आएगी,
हमारे साथ की हर रात याद आएगी,
गुजारे वक्त का कोई हिसाब तो होगा,
मिठे लम्हों की सौगात याद आएगी,
खिलाडी हो बखूबी खेल का मज़ा लेना,
पुराने खेल की हर मात याद आएगी,
सफर जो भी रहा मुश्किल करे भी क्या?
पडी जो वक्त में वो हर घात याद आएगी,
बहारें लौट आने का सबब करे कोई,
तभी पतझड़ को भी औकात याद आएगी !!
नीशीत जोशी 25.09.15
चाहते है
तेरे ही सहारे कुछ करना चाहते है,
बाहों में तुझे ही हम रखना चाहते है,
कर देना हमे बेहोश पिला के काबा,
आँखों की मस्ती में हम मरना चाहते है,
छूपाया कभी शायद आये सामने भी,
तूने जो लिखे थे खत पढ़ना चाहते है,
यादो के हुजूमो में खो जाएंगे हम,
तेरे ही तसव्वुर में रहना चाहते है,
प्यासा रख दिया है हम आदी है उसीके,
समंदर को तिश्ना में अब रखना चाहते है,
कोई इक सबा तो हो जो चाहे हमें भी,
तेरी ही बहारो में खिलना चाहते है !!
नीशीत जोशी 22.09.15
રવિવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2015
जरूरी तो नहीं
हर वाकिया हर किसीको बताया जाए जरूरी तो नहीं,
किसी पराये को अपना बनाया जाए जरूरी तो नहीं,
राह चलते नजरें तो बहोतो से चार होती होगी मगर,
हर किसीके साथ इश्क फरमाया जाए जरूरी तो नहीं,
आता नहीं काम कोई फिर भी समझे आरिफ खुद को,
हर करतब उनसे ही करवाया जाए जरूरी तो नहीं,
कोई अमीर है कोई है गरीब अपने नसीब से मगर,
गुनाहगार खुदा को ही बताया जाए जरूरी तो नहीं,
गर हो शामिल सुख में, तो दु:ख में भी होना चाहीए,
सभी को मशवरा ये समझाया जाए जरूरी तो नहीं !!
नीशीत जोशी 19.09.15
हमने आश लगा रखी है
हद्द कर दी सितमगर ने सितम ढाने की,
ठुकरा के मुहब्बत मेरी शब कर जाने की,
लगा रखी है महेंदी दूजे के नाम की,और,
करते है ताक़ीद बार बार जहर खाने की,
खिलाते है कसम उन्हें भूलने की हमे,और,
बिन उनके खुशहाल जिंदगी लाने की,
वह करते रहे नफरत हमसे रक़ीब की तरह,
हमने ख्वाइश रखी उन्हींसे प्यार पाने की,
समझ गया है क़ासिद भी झूठे वादो का सबब,
फिर भी हमने आश लगा रखी है उनके आने की !!
नीशीत जोशी 16.09.15
લાગી છે લગન તારા નામની
લાગી છે લગન તારા નામની, ઓ શ્યામ,
લાગી છે લગન તારા નામની,
કાને સંભળાય ના સુર હવે,
આવે સંભારણાના પુર હવે,
રાતો થૈ મગન તારા નામની, ઓ શ્યામ,
રાતો થૈ મગન તારા નામની,
લાગી છે લગન તારા નામની......
ક્યારે આવશે પુરા કરવા કોલ,
ક્યારે તો હ્રદય ફાટક ને ખોલ,
લાગી છે અગન તારા નામની, ઓ શ્યામ,
લાગી છે અગન તારા નામની,
લાગી છે લગન તારા નામની......
બંસી વાગવા ઇન્તઝાર કરું,
તારા પ્રેમનો જ ઇઝહાર કરું,
હ્રદયમાં રટણ તારા નામની, ઓ શ્યામ,
હ્રદયમાં રટણ તારા નામની,
લાગી છે લગન તારા નામની......
વૃંદાવન જોને થયું છે બાવરું,
ગોપીઓ પૂછે છે કેમ પામવું,
સૌને બસ તડપ તારા નામની, ઓ શ્યામ,
સૌને બસ તડપ તારા નામની,
લાગી છે લગન તારા નામની......
નીશીત જોશી 13.09.15
मेंरा पेशा था हसाने का
मौका था बातें बताने का,
टूटा आईना दिखाने का,
फुर्सत ना पायी कभी रोने की,
मेंरा पेशा था हसाने का,
दास्ताँ ख़ूबां की कहें ना कोई,
इल्जाम पाया दिल जलाने का,
ना थी तवक़्क़ो ये हश्र की,
हस हस के रोना जताने का,
फुर्सत ना पायी जिगर रोंदने की,
पेशा था वादा निभाने का,
तेरी अज़मत ले मुझे आयी है,
होगा इंतजाम दिल बसाने का !!
नीशीत जोशी
(ख़ूबां= sweethearts, तवक़्क़ो= expectation, अज़मत= greatness) 11.09.15
મનથી મનને બાંધતી, કોઈ તો સાંકળ હશે.
એકલા છો આજ, કાલે કાફલો પાછળ હશે,
જે હતા વિરોધમાં, ઝંડો લઇ આગળ હશે,
બીજ વાવ્યું હોય ઉગવાનું અને ફળ પણ આપશે,
તોડશો દાંતણ,કદાચિત જંગલી બાવળ હશે,
છે અદા કાતિલ ઘણી, ઘાયલ કરે છે આંખથી,
ખાસ મકસદથી જ આજ્યું આંખમાં કાજળ હશે,
વાયરો વાયો, સિમાડે ગામનાં પુરજોશથી,
પ્રિયતમાના આગમનના, આજ વાવળ હશે,
હોય વણદેખ્યા ભલે, મનના ખરા બંધન હતા,
મનથી મનને બાંધતી, કોઈ તો સાંકળ હશે.
નીશીત જોશી 09.09.15
શનિવાર, 5 સપ્ટેમ્બર, 2015
उड़ जायेगा जरूर
दुःख आया है तो पीछे सुख भी लायेगा जरूर,
गर दर्द है तो मरहम लगाने से जायेगा जरूर !!
बैठ के किनारे पर कुछ भी हासिल नहीं होता,
जो उतरा समंदर में वही मोती पायेगा जरूर !!
एक भूखे को रोटी का टूकडा मिल जाए काफी है,
सुखी रोटी में पकवान का ज़ायका आयेगा जरूर !!
कैद में रहके परिंदा भूल जायेगा ना परवाज अपनी,
गर हौसला हो बुलंद, तोड़ कफ़स उड़ जायेगा जरूर !!
आँख मूंदे कहीं पे भी चलना समझदारी तो नहीं,
युही चलता रहा, एक दिन ठोकर खायेगा जरूर !!
नीशीत जोशी 04.09.15
शे'रो में कहानी लिखी थी
हर मेरे शे'र पर आ कर उसने तफ़्सीर रखी थी,
जिस शे'र में उनकी और मेरी तक़दीर लिखी थी,
वस्ल की ख़ुशी और हिज्र का ग़म भी लिखा था,
हर वो जगह लिखी थी जहाँ जहाँ वोह दिखी थी,
महफ़िल की रौनक भी, आँखों की मयकशी भी,
जिक्र मीना का भी किया था मैय जिसमे चखी थी,
तब्बसुम ओठो की,नजाकत भी बयाँ की थी उसमें,
यह भी कहा था दास्ताँ-ए-इश्क़ में कैसी सखी थी,
अब वोह किसी और की है तो क्या? मुहब्बत तो है,
पल पल को याद करके शे'रो में कहानी लिखी थी !!!!
नीशीत जोशी 01.09.15
( तफ़्सीर=comments,सखी=large-hearted)
શનિવાર, 29 ઑગસ્ટ, 2015
रक्षाबंधन
महज धागा न समझो,बहन का प्यार है,
रक्षा करने भाई का, खामोश इजहार है,
बाँध के राखी भाई को,बहन खुशहाल है,
तरक्की के आशीर्वाद,भाई का उपहार है,
कलाई पे बांधना राखी,भाई का गुमान है,
दिया तौफा भाई का बहन को स्विकार है,
रिश्ता है,स्वाद भी खट्टा कभी मीठा होगा,
रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का तौहार है,
चली जाए बहन गर, सात समंदर पार भी,
यह पावन पर्व बहन को याद रहेता हरबार है !!
नीशीत जोशी 29.08.15
પ્રેમ થઇ ગયો
નજર થી નજર મળતા પ્રેમ થઇ ગયો,
હવે તો કહો આ અંધકાર કેમ થઇ ગયો,
અજવાળું થતા તો દેખાતું હોય છે બધું,
પછી કેમ આ આંધળાની જેમ થઇ ગયો,
વિચારેલું ચંદ્રની ઠંડક સમો હશે આ પ્રેમ,
આતો સૂરજનો હોય તાપ એમ થઇ ગયો,
પહેલા થતું હતું સઘળું વ્યવસ્થિત સમયે,
હવે સુવાનો સમય પણ જેમતેમ થઇ ગયો,
વાવ્યું છે એવું તો હવે તેવું લણવું જ પડશે,
ફળ સારું આપનારો જુઓ આ પ્રેમ થઇ ગયો.
નીશીત જોશી 27.08.15
अपनी जिंदगी निसार दी
रवायत निभाते निभाते, मैने जिन्दगी गुजार दी,
हमारी रुखसत पे, तूने अपनी तस्वीर उतार दी,
कब कहा था हमने, के याद आती नहीं तुम्हारी,
न जाने फिर क्यों तूने, हमारी कहानी बिसार दी,
उतार नही सकते थे, फलक के चाँद सितारो को,
हमने चिराग जला के, अपनी झोंपडी सवार दी,
पता न था, उस अंजाम-ए-मुहब्बत का हमे कभी,
करके वफ़ा का जिक्र, तूने जिंदगी को ग़ुबार दी,
हमने रुखसार को तेरे,एहमियत न दी थी कभी,
दिलसे की मुहब्बत और अपनी जिंदगी निसार दी !!
नीशीत जोशी
(ग़ुबार=cloud of dust, निसार= sacrifice) 25.08..15
લે જીવી જા મારી તુ જીંદગી
નામ તમારૂ લઇને જગતે છેતર્યો હતો,
જેમ ઉંદરની અંદરથી મને કોતર્યો હતો,
રોજ બતાવી મોટા મોટા સપનાઓ મને,
જેમ બાળક ફોસલાવે એમ ભોળવ્યો હતો,
એમ કહેલુ આંસુ આવવા દે'શું નહી આંખે,
સામટો આંસુઓનો દરિયો મોકલ્યો હતો,
કોઇ તરસ બુઝાવી નહી શકે મારા દિલની,
એક બીચારો ગણી સૌએ મને ફેરવ્યો હતો,
એમ કહેલુ કે લે જીવી જા મારી તુ જીંદગી,
દેખાવ કરી મિથ્યા,ખોટા પથે દોરવ્યો હતો.
નીશીત જોશી 22.08.15
શનિવાર, 22 ઑગસ્ટ, 2015
आईना मगरूर हो गया
देखके आपको, आईना मगरूर हो गया,
चाँद भी, मुँह छुपाने को मजबूर हो गया,
रात वो आये थे ख्वाब में, बनके क़ासिद,
रुखसे पर्दा हटा, और वो मशहूर हो गया,
हो रहा था, महोबत का जिक्र चारसू ,
हर किस्सा आप ही, मजकूर हो गया,
प्यार पा के आपका, हो गये सब अज़ीज़,
देखके दिल-ए-रक़ीब भी मखमूर हो गया,
बेपर्दा देखके आपको, घायल हो गये सभी,
दीदार पाते ही, हर कोई मशकूर हो गया !!
नीशीत जोशी
(क़ासिद = खबर पहोचानेवाला,चारसू= चारो तरफ, मज़कूर = reported,मखमूर =नशे में चूर , मशकूर= आभारी) 20.08.15
કેવાકેવા અનુભવો થાય છે
જુઓ તો ખરા,કેવાકેવા અનુભવો થાય છે,
અચંબો પમાડે એવા જ પ્રસંગો સર્જાય છે,
જોઈ સ્ત્રી,આંખો એની થાય છે ચકળવકળ,
મંચેથી, બ્રહ્મચર્યના ભાષણો પીરસાય છે,
કરે અંધારે, શાસ્ત્રવિરોધી કામ છુપાઈને,
આખરે તેમના પાપ,છાપે ચઢી વંચાય છે,
ધર્મની બીક બતાવી,ધીકતો ધંધો કરે છે,
રાજકારણથી,ત્યાં ક્યાં પાછળ રહેવાય છે,
સાવધાન રહો, આવા દંભીઓ થી તમેં,
ભોપાળું બ્હાર આવતા, ક્યાં વાર થાય છે.
નીશીત જોશી 18.08.15
किधर है ?
दिल में है प्यार बेहिसाब, मगर उसमें महक किधर है ?
दिखता है क़व्स-ए-क़ूज़ा फलक में, पर उफ़क़ किधर है ?
तड़पाना, तड़पना, रोना, मनाना महज सिर्फ दिखावा है,
मुहब्बत की कोई तपिश, प्यार की वह कसक किधर है ?
मिल जाते थे अक्सर बुलाने पे, दौड़ के आ भी जाते थे,
सिद्दत से बैठे है इंतज़ार में, पर आज वह ज़लक किधर है ?
मिल जाते है अर्श-ओ-फर्श, कहीं उस पार उफ़क़ के मगर,
उसे खोजने की अगन, और ऐसी आग की दहक किधर है ?
न जानते हुए भी, मुसाफिर कहते मिलेंगे के सब जानते है,
टिके है झूठ पे, मगर झूठ बोल के मिलता सबक किधर है ?
नीशीत जोशी
15 th August
जय हो ,जय हो यह भारत की आज़ादी,
कितनो की शहादत से हमें मिली आज़ादी,
नमन उन वीरो को,नमन उन शहीदो को,
जिनके देशप्रेम से हमे मिल के रही आज़ादी !!
आज़ादी के पर्व को मनाया है मनाते रहेंगे,
क्या हम इस को ही आज स्वतंत्रता कहेंगे,
भूखे पेट देश में आज भी लोग सो जाते है,
ताउम्र क्या गरीब ही यहाँ अमीरो को सहेंगे !!
निकलता है इंसान रोजीरोटी कमाने को,
पता नहीं सठीक पहुंच पायेगा ठिकाने को,
आतंकवाद,बलात्कार,भ्रष्टाचार है बेपाहाँ,
क्या इस को कहेंगे आज़ादी जमाने को !!
बेटीओ को माँ की कोख में मारा जाता है,
पढ़ाई नहीं अन्य कामो में डाला जाता है,
सुविधा नहीं सौचालय की विद्यामंदिर में,
क्या इस को ही आज़ादी जाना जाता है !!
जिसे रक्षक कहो वही भक्षक बना बैठा है,
जिसे चुना नेता वह नाग तक्षक बना बैठा है,
कुर्शी के वास्ते एक दूसरे को पछाड़ते रहे है,
और देश की आज़ादी का रक्षक बना बैठा है !!
लालबत्ती पर बच्चे मिल जाएंगे तिरंगा बेचते,
दूसरे ही दिन मिलेगा तिरंगा बच्चो से खेलते,
क्या यही सन्मान है देश के तिरंगे का कहिये,
कितने दिन हम रहेंगे यही सब खामोश जेलते !!
कदर करो वीर जवानो की देश के मरम की,
कदर करो इस महान देश की हर धरम की,
सही मायनो में तभी होगी हमारी आज़ादी,
जिस दिन समझ आएगी अपने करम की !!
यह देश महान था महान है और महान रहेगा,
हमारा भारत देश रहेगा जब तक जहान रहेगा,
दिल का दर्द लिखा है लिखते रहेंगे हम भी यहाँ,
आज़ादी के पर्व का हरदम हम पे परवान रहेगा !!
नीशीत जोशी 15.08.15
पाकिस्तान के सभी भाईओ को स्वतंत्रता दिन कि शुभ कामना
पाकिस्तान के सभी भाईओ को स्वतंत्रता दिन कि शुभ कामना !!
कभी तो हम साथ साथ थे,
आज भी हम दिल से साथ है,
पर सियासतदान क्यो सुने,
हथकंडे है कुर्सी बचाने के,
खींची है दरमियाँ दिवार भी,
रोक न पायेंगे प्यार करने से,
आतंकी आग दोनो तरफ है,
फिर दोष क्यो एकदुसरे पे,
हम है एक ही मिट्टी के,तो,
परहेज़ क्यो दोस्त कहने से !!
नीशीत जोशी 14.08.15
मेरा बेहाल और है
ग़म की क्या मिसाल और है,
जो ना ग़ुज़रा,कमाल और है,
दिखता है चेहरा हँसता हुआ,
मगर दिल का हालचाल और है,
मेरे अंदर तलातुम है बहुत,
पर जुबानी भी सवाल और है,
साथ छोड़े है साया मेरा,
रास्ता भी कितना मुहाल और है,
इश्क़ में अंदाज़ तेरा देखकर,
सोचता हूँ तेरी एक चाल और है,
पूछते हो हाल क्या मेरा, जनाब,
ग़म सुना दिल मेरा बेहाल और है,
मिल रहा है सब से यूं, मगर,
अंदर से वो बेख़याल और है !!
नीशीत जोशी 11.08.15
શનિવાર, 8 ઑગસ્ટ, 2015
होगा जमाने को असर इक दिन
चले है जब कदम होगा जमाने को असर इक दिन,
यकीनन खत्म होगा जिन्दगी का सफर इक दिन,
बहारों के दिवाने प्यार बांटते हो चमन में शायद,
बगीचे का नजारा सामने होगा नजर इक दिन,
कभी दास्ताँ ग़मो की तो कभी होगी खुशी की,
उसी में ये रहेगी जिन्दगानी वो बसर इक दिन,
न आने का इरादा हो न कोई ख्वाहिशें दिल में,
सिर्फ हो मोहब्बतका वो मजा कोई मगर इक दिन
शहर खामोश होगा देख घावों को दफ्अतन,
तभी वो प्यार की लपटें उठेगी जो उधर इक दिन !!
नीशीत जोशी 08.08.15
હવા તું ધીમી થા
હવા તું ધીમી થા, બંધ બારણું થઇ જાય છે,
વગોવાય છે તું, ઘરોમાં અંધારૂ થઇ જાય છે,
લહેરાય છે આપનો પાલવ જોને હવામાં એમ,
કે સયાણું પતંગયુ પણ, બીચારૂ થઇ જાય છે,
લટોને હટાવો નહીં,આ ચહેરા પરથી એમ તમે,
સમી સાંજ છે ત્યાં, અહીં અજવાળુ થઇ જાય છે,
હવામાં પહોળા કરી હાથ, માંગો ન આકાશ તમે,
નિહાળી તમોને, ઇન્દ્ર પણ ઈર્ષાળુ થઇ જાય છે,
હવામાં તમ ઉન્માદ છે અને વંટોળાય છે પ્રેમ,
દુશ્મનો પણ જોઈ જોઇને માયાળુ થઇ જાય છે.
નીશીત જોશી 06.08.15
जान ले लेगी किसी दिन ये शरारत आपकी
जान ले लेगी किसी दिन ये शरारत आपकी ,
मयकदे पहुंचा न दे हमको ये आदत आपकी |
हाथ में पत्थर तुम्हारे , कांच का मेरा बदन ,
अब करूँ भी तो करूँ किससे शिकायत आपकी |
नाज़ुकी जो आपके हिस्से में आई क़ुदरतन,
मेरी जाँ लेकर रहेगी ये नज़ाकत आपकी |
हम सलामत हैं तो बस फ़ज़लो-करम से आपके ,
काम आती है हमारे बस इबादत आपकी |
बोझ ग़ैरों का उठा लेते हो अपने आप पर ,
याद रक्खेगा ज़माना ये शराफ़त आपकी |
नीशीत जोशी 03.08.15
यहाँ लोग, सिर्फ चहरे की, सबाहत जानते है
हम तेरी मुहब्बत की, सदाकत जानते है,
लड़ लोगे तुम जहाँ से, जसारत जानते है,
दिलवाले करते है बहुत, इश्क़ कायनात में,
पाएंगे वही, जो दुनिया की रक़ाबत जानते है,
यहां के लोग करेंगे, इश्क़ के चर्चे चारसु,
मुख्तार वही होंगे, जो बगावत जानते है,
रफ्ता रफ्ता ही, इश्क़ सर चढ़ के बोलेगा,
मुश्किल है उनको, जो सिर्फ तिजारत जानते है,
होनी चाहिए, दिल से मुहब्बत, दिल की,
यहाँ लोग, सिर्फ चहरे की, सबाहत जानते है,
रक़ीब भी बन जाते है, दोस्त मोहब्बत से,
हम परस्तार है, इश्क़ की इबादत जानते है !!
नीशीत जोशी
(सदाकत=सच्चाई, जसारत=हिम्मत, रक़ाबत=शत्रुता, चारसु=चारों तरफ़, मुख्तार=आज़ाद,
बगावत=विद्रोह, तिजारत=व्यापार, सबाहत=खूबसूरती, परस्तार=पूजनेवाला) 01.08.15
હંકારો હોડી તમે કિનારે કિનારે
હંકારો હોડી તમે કિનારે કિનારે,
મારે નથી મરવું જઇને મઝધારે,
સંગાથે રહેશો જીવી જઇશું અમે,
નહિતર ભટકશું આ કે પેલે દ્વારે,
થાક્યા નહી કે સમણાંમાં જગાડી,
આવો છો યાદ બની નવેલી સવારે,
જલાવો છો દિલ તમે બીજાને દઇને,
બળવું નથી વિરહની આગે અમારે,
રહેશો નહી આમ દુરી બનાવીને,
તાકીદ કરો તમે આવો છો ક્યારે.
નીશીત જોશી 31.07.15
વિરહ ની કદર થઇ જવા દો
दिल था कमजोर, टूट गया तो टूट गया
दिल था कमजोर, टूट गया तो टूट गया,
भीड थी बहुत, हाथ छूट गया तो छूट गया,
मिल गया मुझे सब कुछ, उसके मिलते ही,
मिला हुआ खजाना, लूट गया तो लूट गया,
सुननी अच्छी लगे दास्ताँ, इश्क की सबको,
हुजूम लोगो का यहाँ, जूट गया तो जूट गया,
लडखडाये जो पाँव, कसूर नहीं उस शाकी का,
हाथसे गीरा पयमाना, फूट गया तो फूट गया,
आसान नही होता, किसीसे मिलकर बिछडना,
रिश्ता साँसों से गर, छूट गया तो छूट गया !!
नीशीत जोशी 26.07.15
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